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रघुवंश
समलक्ष्यत् बिभ्रदाविलां मृगलेखामुषसीव चन्द्रमाः । 8/42
उस प्रात:काल के चन्द्रमा के समान दिखाई दे रहे थे, जिसकी गोद में धुंधली मृग की छाया हो ।
उषसि स गजयूथ कर्णतालैः पटुपटहध्वनिभिर्विनीतनिद्रः । 9/71
प्रातः काल जब नगाड़ों के समान शब्द करने वाले हाथियों के कानों की फटकार होती थी, तब उनकी आँखें खुलती थीं।
आसीदासन्न निर्वाणः प्रदीपार्चिरिवोषसि । 12/1
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अब उनकी दशा प्रात:काल के उस दीपक जैसे हो गई थी, जिसका तेल चुक गया हो और बस बुझने ही वाला हो ।
2. दिनपूर्वभाग :- प्रभातकाल ।
नीहारमग्नो दिनपूर्वभाग: किंचित्प्रकाशेन विवस्वतेव । 7/60
जैसे कोहरे के दिन, प्रभात होने का ज्ञान धुंधले सूर्य को देखकर होता है। 3. दिनमुख :- [ द्युतितमः, दो [दी ] + नक् ह्रस्वः+मुखम्] प्रात:काल। दिन मुखानि रविर्हिमनिग्रहैर्विमलयन्मलयं नगमत्यजत् । 9/25
सर्दी दूर करके, प्रात:काल का पाला हटाकर उसे और भी अधिक चमकाते हुए सूर्य ने मलय पर्वत से विदा ली।
4. प्रभात : - [ प्र+भा+क्त] दिन निकलना, पौ फटना
अथ प्रजानामधिपः प्रभाते जाया प्रतिग्राहितगंधमाल्याम् । 2/1
दूसरे दिन प्रातः काल रानी सुदक्षिणा ने पहले फूल माला चन्दन लेकर नंदिनी की पूजा की।
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तनु प्रकाशेन विचेय तारका प्रभातकल्पा शशिनेव शर्वरी । 3 / 2
वे पौ फटते समय की उस रात जैसे लगने लगीं, जब थोड़े से तारे बचे रह जाते हैं और चंन्द्रमा भी पीला पड़ जाता है।
5. प्रात : - [ प्र + अत् + अरन्] तड़के, प्रभात काल में, प्रातः काल ।
प्रयता प्रातरन्वेत् सायं प्रत्युद्व्रजेदपि । 1/90
प्रातः काल जब ये वन को जाने लगे, तब ये बाड़े तक उसके पीछे-पीछे जायँ और सायंकाल लौटते समय वहीं से आगवानी कर के ले आवें ।
क्रमेण सुप्तामनु संविवेश सुप्तोत्थितांप्रातरनूदतिष्ठत् । 2/24