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कालिदास पर्याय कोश
अमी शिरीष प्रसवावतंसाः प्रभ्रंशिनो वारि विहारिणी नाम्। 16/61 इन जल-क्रीड़ा करने वाली रानियों के कानों से सिरस के कर्णफूल खिसककर
नदी में गिर कर तैर रहे हैं। 2. कर्णपूर :-[कर्ण+अप्+पूरः] कान का आभूषण, कान की बाली।
तदंजनक्लेदसमाकुलाक्षं प्रम्लान बीजांकुर कर्णपूरम्। 7/27 आँखों से आँजन मिला हुआ आँसू निकलने लगा, कानों के कर्णफूल कुम्हला
गए। 3. कर्णोत्पल :- कर्णफूल, काम का आभूषण।
कपोल संसर्पि शिखः स तस्या मुहूर्त कर्णोत्पलतां प्रपेदे। 7/26 जब इंदुमती के कपोल तक पहुँचा तब ऐसा जान पड़ा, मानो उन्होंने नीले कमल का कर्णफूल पहन रखा हो।
अवलेप
1. अवलेप :-[अव+लिप्+घञ्] अहंकार, घमण्ड, अत्याचार, अपमान।
मतंग शापादवलेप मूलादवाप्तवानस्मि मतंगजत्वम्। 5/53 एक बार मैंने अभिमान में आकर मतंग ऋषि का अपमान किया था उन्हीं के
शाप से मैं हाथी हो गया। 2. गंध :-[गन्ध+अच्] घमण्ड, अभिमान।
पक्षच्छिदा गोत्रभिदात्तगंधाः शरण्यमेनं शतशो महीध्राः। 13/7 उन सैकड़ों पहाड़ों ने भी इसकी शरण ली थी, जिनके पंख इन्द्र ने काट दिए थे
और जिनका अभिमान इन्द्र ने चूर कर दिया था। 3. दर्प :-[दृप्+घञ्, अच् वा] घमण्ड, अहंकार, अभिमान।
एताः करोत्पीडितवारिधारा दर्यात्सखीभिर्वदनेषु सिक्ताः। 16/66 जब इनकी सखियाँ इनके मुँह पर पानी डालती हैं और अहंकार से अपनी
सखियों पर पानी उछालती हैं। 4. मद :-[मद्+अच्] मादकता, घमण्ड, अहंकार, अभिमान।
वयोरूपविभूतिनामेकैकं मदकारणम्। 17/43 यौवन, सौन्दर्य और ऐश्वर्य इनमें से एक भी वस्तु जिसके पास होती है, वह मतवाला हो जाता है।
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