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रघुवंश
जटायु के घावों को देखकर ही यह स्पष्ट था, कि वह कितने जी-जान से रावण
से लड़ा।
रूढेन्द्रजित्प्रहरण व्रणकर्कशेन क्लिश्यन्निवास्य भुजयुध्यमुरः स्थलेन ।
13/73
मेघनाद के प्रहारों से कठोर हुई उनकी छाती को अपनी भुजाओं से दबाते हुए ।
श
शंख
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1. जलज : - [ जल् + अक् + जः] खोल, शंख ।
ततः प्रियोपात्तरसेऽधरोष्ठे निवेश्य दध्मौ जलजं कुमारः । 7/63
उस समय इंदुमती के चुंबन का रस लेने वाले अपने ओठों से शंख फूंकते हुए अज, ऐसे जान पड़ते थे ।
2. शंख :- [ शम् + ख] शंख, घोंघा ।
शङ्खस्वनाभिज्ञतया निवृत्तास्तं सन्नशत्रुं ददृशुः स्वयोधाः । 7/64
शंख की ध्वनि पहचानकर अज के योद्धा लौट आए, सोते हुए शत्रुओं के बीच अज उन्हें ऐसे जान पड़े मानो ।
ऊर्ध्वाङ्कुरप्रोतमुखं कथंचित्क्लेशादपक्रामति शङ्खयूथम्। 13/13
इन जीवित शंखों के मुँह छिद गए हैं और उस पीड़ा से, ये बेचारे बड़ी कठिनाई से इधर-उधर चल पा रहे हैं।
शत्रुघ्न
1. लक्ष्मणानुज :- [लक्ष्मन् + अण्, न वृद्धिः + अनुजः] लक्ष्मण का छोटा भाई, शत्रुघ्न ।
अपशूलं तमोसाद्य लवणं लक्ष्मणानुजः । 15/17
शत्रुघ्न ने देखा कि यह अवसर ठीक है, क्योंकि लवणासुर के हाथ में भाला नहीं है, बस झट उन्होंने लवणासुर को घेर लिया।
2. शत्रुघ्न :- [ शद् + त्रुन् + घ्नः] शत्रुओं को नष्ट करने वाला, सुमित्रा का पुत्र, रामका भाई, लक्ष्मण का यमल भ्राता ।
आदिदेशाथ शत्रुघ्नं तेषां क्षेमाय राघवः । 15/6
राम ने उन मुनियों की रक्षा का भार शत्रुघ्न को सौंपा।
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