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कालिदास पर्याय कोश 31. सहस्रलोचन :-[समानं हसति :-हस् + र + लोचनः] इन्द्र का विशेषण।
तैजसस्य धनुषः प्रवृत्तये तोयदानिव सहस्रलोचनः। 11/43
जैसे इन्द्र बादलों को अपना धनुष प्रकट करने की आज्ञा दे देते हैं। 32. सुरेश्वर :-[सु + रा + क + ईश्वरः] इन्द्र का नाम।
नरेन्द्र सूनुः पतिसंहरन्निधू प्रियंवदः प्रत्यवदत्सुरेश्वरम्। 3/64
इन्द्र के ये वचन सुनकर रघु इन्द्र से बोले। 33. हरि :-[ह + इन्] इन्द्र का नाम।
शतैस्तमक्ष्णाम निमेष वृत्तिभिर्हरिं विदित्वा हरिभिश्च वाजिभिः। 3/43 रघु ने आँख गड़ाकर देखा कि घोड़े को हरने वाले के शरीर पर आँखें ही आँखें हैं, उन आँखों की पलकें भी नहीं गिरती हैं और उनके रथ के घोड़े भी हरे-हरे हैं, बस रघु ने समझ लिया कि ये इन्द्र ही हैं। तमभ्यनन्दप्रथमं प्रबोधितः प्रजेश्वरः शासनाहारिणा हरेः। 3/68 रघु के पहुँचने के पहले ही इन्द्र के दूत ने राजा दिलीप को सब वृतान्त सुना दिया था। प्रजिघाय समाधि भेदिनीं हरिरस्मै हरिणी सुराङ्गनाम्। 8/79 उनकी तपस्या से डरकर उन का तप भंग करने के लिए हरिणी नाम की अप्सरा भेजी। यन्ता: हरे सपदि संहृतकार्मुकज्यमापृच्छ्य राघवमनुष्ठितदेवकार्यम्।
12/103 राम ने धनुष की डोरी उतार दी, क्योंकि उन्होंने देवताओं का काम पूरा कर दिया था। इन्द्र के सारथी मातलि उनसे आज्ञा लेकर अपना रथ लेकर स्वर्ग में चला
गया। 34. हरिहय :-[ह + इन् + हयः] इन्द्र
उपगतो विनिनीषुरिव प्रजा हरिहयोऽरिहयोगविचक्षणः। 9/18 मानो पृथ्वी पर राज्य करने के लिए स्वयं इन्द्र ही अपनी तीन शक्तियों के साथ अवतार लेकर चले आए हों। असकृदेकरथेन तरस्विना हरियाग्रसरेण धनुर्भूता। 9/23 अकेले रथ पर चढ़कर युद्ध करने वाले पराक्रमी, धनुर्धर और युद्ध में इन्द्र से भी आगे चलने वाले दशरथ ने।
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