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कालिदास पर्याय कोश उनमें से एक तो हैं इंद्र, जिन्होंने समय पर वर्षा करके किसानों का परिश्रम सफल किया और दूसरे हैं मनुवंशी दशरथ, जिन्होंने सुकर्मियों को धन देकर
उनका पालन-पोषण किया। 17. बलभ :-[बल् + अच् + भः] इन्द्र के विशेषण।
उच्चचाल बलभित्सखो वशी सैन्यरेणुमुषितार्कदीधितिः। 11/51 इन्द्र के मित्र, जितेन्द्रिय दशरथ इतनी सेना लेकर चले, कि उससे उठी हुई धूल
से सूर्य भी ढक गया। 18. मघवा :-[मह पूजायां कनिन्, नि० हस्यस घः, वुगागमश्च] इन्द्र का नाम।
दुदोह गां स यज्ञाय सस्याय मघवा दिवम्। 1/26 राजा दिलीप प्रजा से जो कर लेते थे, वह यज्ञ में लगा देते थे। इन्द्र भी इनसे प्रसन्न होकर आकाश को दुहता था और जल बरसाता था, जिससे खेत असन्न से लद जाते थे। तदङ्गमग्नं मघवन्महाक्रतोरमुं तुरंगं प्रतिमोक्तुमर्हसि। 3/46 इसलिए हे इंद्रदेव! आप मेरे पिताजी के अश्वमेघ यज्ञ के लिए, इस घोड़े को छोड़ दीजिए। स एवमुक्त्वा मघवन्तमुन्मुखः करिष्यमाणः सशरं शरासनम्। 3/52 यह कहकर रघु ने धनुष पर बाण चढ़ाया और पैंतरा साधकर इंद्र की ओर मुँह करके खड़े हो गए। स किल संयुगमूर्ध्नि सहायतां मघवतः प्रतिपद्य महारथः। 9/19 यह कहा जाता है कि महारथी दशरथ ने युद्ध में इंद्र की सहायता करके और बाणों से उनके शत्रुओं का नाश करके। पुरा स दर्भाङ्करभात्र वृत्तिश्चरन्मृगैः सार्धमृषिर्मघोना। 13/39 पहले ये महर्षि तपस्या करते समय मृगों के साथ घास चरा करते थे, इनकी ऐसी तपस्या देखकर इन्द्र को भय हुआ। वंशस्थितिं वंश करेण तेन संभाव्य भावी स सखा मघोनः। 18/31 विषय-वासनाओं से दूर रहकर इन्द्र के भावी मित्र ब्रह्मनिष्ठ ने अपनी कुल
प्रतिष्ठा अपने पुत्र को सौंप दी। 19. मरुत्पाल :-(पुं०) [मृ + उति + पालः] इन्द्र का विशेषण।
नगरोपवने शचीसखो मरुतां पालयितेव नन्दने। 8/32
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