________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
28
कालिदास पर्याय कोश सदृश कांतिरलक्ष्यत मंजरी तिलक जालक मौक्तिकैः। 9/44 वे ऐसे सुन्दर लगने लगे, जैसे किसी स्त्री ने अपने सिर पर मोतियों की माला पहन ली हो। वक्रेतराग्रैरलकैस्तरुष्यश्चूर्णारुणान्वारिलवान्वमंति। 16/66 तब इनके सीधे लटके हुए बालों से कुंकुम मिली हुई लाल रंग की बूंदे चूने
लगती हैं। 2. कच :-[कच्+अच्] बाल, सिर के बाल।
शापयंत्रित पौलस्त्यबलात्कार कच ग्रहैः। 10/47 रावण ने स्वर्ग की जिन स्त्रियों को अपने यहाँ बंदी किया है, उन बंदी स्त्रियों के जूड़े अपने हाथों से खोलेंगे। विद्महे शठ पलायनच्छलान्यंजसेति रुरुधः कचग्रहैः। 19/31 यह सुनकर रानियाँ ताड़ जाती और कहने लगतीं कि हम भी भली-भाँति जानती
हैं कि तुम किस मित्र के यहाँ जा रहे हो फिर बाल पकड़कर उसे रोक लेतीं। 3. केश :-[क्लिश्यते क्लिश्नाति वा-क्लिश्+अन् लोलोपश्च] बाल, सिर के
बाल। लताप्रतानोद्ग्रथितैः स केशैरधिज्यधन्वा विचचार दावम्। 2/8 उनकी शिर की लटें जंगल की लताओं के समान उलझ गई थीं, जब वे हाथ में धनुष लेकर जंगल में घूमते थे। चुकोप तस्मै स भृशं सुरश्रियः प्रसह्य केशव्य परोपणादिव। 3/56 उससे इंद्र को ऐसा क्रोध हुआ, मानो किसी ने देवताओं की राज-लक्ष्मी के सिर के बाल काट लिए हों। रोमांच लक्ष्येण स गात्रयष्टिं भित्वा निराक्रामदरालकेश्याः। 6/81 धुंघराले बालों वाली इंदुमती के हृदय का प्रेम छिपाने पर भी न छिप सका मानो खड़े हुए रोंगटों के रूप में वह प्रेम शरीर फोड़कर निकल आया हो। लद्धं न संभावित एव तावत्करेण रुद्धोऽपि च केशपाशः। 7/6 उस हड़बड़ी में अपना जूड़ा बांधने की भै उसे सुध न रही और वह अपने केश हाथों में थामे ही खिड़की पर पहुँच गई। हृतान्यपि श्येन नखाग्रकोटि व्यासक्तकेशानि चिरेण पेतुः। 7/46 उनके लंबे-लंबे बाल बाजों के नखें में उलझने से बहुत देर तक ऊपर ही टंगे रह जाते थे।
For Private And Personal Use Only