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कालिदास पर्याय कोश तब राजा दिलीप ने उनकी बड़ी प्रशंसा की और जहाँ उन्हें वज्र लगा था, वहाँ धीरे-धीरे सहलाने लगे। ते रेखाध्वज कुलिशात पत्र चिह्न सम्राजश्चरणयुगं प्रसादलभ्यम्। 4/88 जाते समय उन राजाओं ने रघु के उन चरणों में प्रणाम किया, जिन पर ध्वजा, वज्र और छत्र आदि की रेखाएँ बनी हुई थीं। शमितपक्षबल: शतकोटिना शिखरिणां कुलिशेन पुरंदरः। 9/12 जैसे इन्द्र ने अपने सौ नोकों वाले वज्र से पर्वतों के पंख काट दिए थे। मुक्तशेष विरोधेन कुलिश व्रणलक्ष्मणा। 10/13 शेषनाग से स्वभाविक विरोध छोड़कर इन्द्र के वज्र की चोट का चिह्नधारण किए
हुए। 3. वज्र :-[वज् + रन्] वज्र, बिजली, इन्द्र का शस्त्र ।
जडीकृतस्त्र्यम्बकवीक्षणेन वज्रं मुमुक्षन्निव वज्रपाणिः। 2/42 किसी समय इंद्र ने शिवजी पर वज्र चला दिया था, शिवजी ने केवल उनकी
ओर देख भर दिया कि इंद्र कठमारे से हो गए। ठीक वही दशा दिलीप की भी हो गई। दिदेश कौत्साय समस्तमेव पादं सुमेरोमिव वज्रभित्रम्। 5/30 सोने का ढेर ऐसा चमक रहा था, जैसे किसी ने वज्र से सुमेरु पर्वत का एक टुकड़ा गिरा दिया हो, रघु ने वह सारा सोना कौत्स को भेंट कर दिया। वज्रांशुगर्भाङ्गलि रन्ध्रमेकं व्यापारयामास कर किरीटे। 6/19 मुकुट को सीधा करने में उसके हाथों की उंगलियों के बीच का भाग रत्नों की किरणों से चमक उठता था। सोऽस्त्र वज्रेश्छन्नरथः परेषां ध्वजाग्रमात्रेण बभूव लक्ष्यः। 7/60 राजाओं ने अज पर इतने अस्त्र बरसाए कि उनका रथ ढक गया, उनके रथ की पताका से ही उनका पता मिलता था। भज्यमानमति मात्रकर्षणात्तेन वज्रपरुषस्वनं धनुः। 11/46 राम ने धनुष को इतना तान लिया कि वह वज्र के समान भयंकर शब्द करता
हुआ टूट गया। 4. शस्त्र :-[शस् + ष्ट्रन्] हथियार, आयुध ।
शस्त्रेण रक्ष्यं यदशक्य रक्षं न तद्यशः शस्त्रभृतां क्षिणोति। 2/40
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