________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रघुवंश
365 जब कि पी वस्तु की रक्षा शस्त्र से हो ही न सके, तो इसमें शस्त्र धारण करने वाले क क्या दोष, इससे उसका अपयश तो होता नहीं है। अथाठि शेश्ये प्रयतः प्रदोषे रथं रघुः कल्पित शस्त्रगर्भम्। 5/28 यह नि: य करके वे सांझ होते ही अस्त्र-शस्त्र ठीक करके रथ में ही जाकर जो रहे।
वधू 1. अङ्गना :-[प्रशस्तम् अङ्गम् अस्ति यस्याः :-अङ्ग + न + टाप्] स्त्रीमात्र,
सुन्दर स्त्री। प्रासाद वातायन संश्रितानां नेत्रोत्सवं पुष्पपुराङ्गनानाम्। 6/24 तब वहाँ की स्त्रियाँ झरोखों में बैठकर तुम्हें देखेंगी और तुम्हारी सुंदरता देखकर उनकी आँखों को सुख मिलेगा। चकार बाणैर सुराङ्गनानां गण्डस्थली: प्रोषित पत्र लेखाः। 6/72
और उस युद्ध में उन्होंने असुरों को मार डाला था, उनकी स्त्रियों ने पतियों से बिछोह होने के कारण अपने कपोलों को चीतना ही छोड़ दिया था। सनिनाय नितान्तवत्सलः परिगृह्योचितमङ्कमङ्गनाम्। 8/41 तब उस अत्यंत प्यारे राजा ने अपनी मृत पत्नी को अपनी गोद में उठाकर रख लिया। पतिषु निर्विविशुर्मधुमङ्गनाः स्मरसखं रसखण्डनवर्जितम्। 9/36 कामदेव के साथी मद्य को स्त्रियों ने अपने पति के प्रेम में बिना बाधा दिए ही पी लिया। अङ्गना इव रजस्वला दिशो नो बभूवुरवलोकन क्षमाः। 11/60 जैसे रूखे, मैले बालों वाली तथा रक्त से लाल कपड़ों वाली रजस्वला स्त्री देखने में अच्छी नहीं लगती, उसी प्रकार दिशाएँ भी आँखों को नहीं सुहा रही
थीं।
अपीप्सितं क्षत्रकुलङ्गनानां न वीरसूशब्दमकामयेताम्। 14/4 उस समय अपने पुत्रों की चोटें देखकर वे स्त्रियाँ इतनी व्याकुल हो गईं कि उन्हें वीर पुत्र की माँ कहलाना भी अच्छा नहीं लगा। कामो वसन्तात्यय मन्दवीर्यः केशेषु लेभे बलमङ्गनानाम्। 16/50
For Private And Personal Use Only