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रघुवंश
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जैसे वसंत ऋतु में लताएँ पुराने पत्ते गिराकर नये कोमल पत्तों से लदकर सुंदर लगने लगती हैं। अनन्तराशोकलता प्रवालं प्राप्येव चूतः प्रतिपल्लवेन। 7/21 जैसे आम का पेड़ अपनी पत्तियों के साथ अशोक लता की लाल पत्तियों के मिल जाने से मनोहर लगता है। यदनेन तरुन पातितः क्षपिता तद्विटपाश्रिता लता। 8/47 जिसने पेड़ को तो छोड़ दिया, पर उसके साथ लिपटी हुई लता को जला दिया। पृषतीषु विलोलमीक्षितं पवनाधूत लतासु विभ्रमाः। 8/59 तुम्हारी चंचल चितवन हरिणियों को मिल गई और तुम्हारा चुलबुलापन वायु से हिलती हुई लताओं में पहुँच गया। अमदयत्सहकारलता मनः सकलिका कलिकामजितामपि। 9/33 नये बौरे हए आम के वृक्षों की डालियाँ झूम उठीं, उन्हें देखकर रागद्वेष को जीतने वाले योगियों का मन भी मचल उठा। उपवनान्तलताः पवनाहतैः किसलयैः सलयैरिव पाणिभिः। 9/35 वन के किनारे बढ़ी हुई, लताएँ ऐसी सजीव सी जान पड़ती थीं, मानो वायु से खिली हुई शाखाओं वाले हाथों से वे अनेक प्रकार के हाव-भाव दिखा रही हों। तनुलता विनिवेशितविग्रहा भ्रमर संक्रमिते क्षणवृत्तयः। 9/52 कोमल लताओं का रूप धारण करके भौरों की आँखों से वनदेवता भी उन राजा को। त्वं रक्षसा भीरु यतोऽपनीता तं मार्गमेताः कृपया लता मे। 13/24 हे भीरु ! रावण तुम्हें जिस मार्ग से ले गया था, उस मार्ग की लताएँ मुझे कृपा करके तुम्हारे जाने का मार्ग बताना चाहती थीं। स्वमूर्तिलाभ प्रकृति धरित्री लतेव सीता सहसा जगाम। 14/54 सीताजी, लता के समान, अपनी माँ पृथ्वी की गोद में अचानक गिर पड़ीं। अथोर्मिलोलोन्मदराज हंसै रोधोलता पुष्पवहे सरय्वाः। 16/54 लहरों के लहराने से मतवाले बने हुए हंसों वाले तट की लताओं के फूलों को
बहाने वाले, सरयू के जल में। 2. वल्लि :-[वल्ल् + इति] लता, बेल। वल्ली :-[वल्लि + ङीप्] लता,
बेल।
ताम्बूलवल्ली परिणद्धपूगा स्वेलालतालिङ्गित चन्दनासु। 6/64
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