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कालिदास पर्याय कोश राम और लक्ष्मण से यह कहकर परशुरामजी अन्तर्धान हो गए। स सीता लक्ष्मणसखः सत्याद्गुरुमलोपयन्। 12/9 अपने पिता के वचन सत्य करने के लिए वे सीता और लक्ष्मण के साथ। लक्ष्मण: प्रथमं श्रुत्वा कोकिलाम वादिनीम्। 12/39 जब लक्ष्मण ने यह देखा कि अभी तो यह कोयल के समान मधुर बोल रही थी। निदधे विजया शंसां चापे सीतां च लक्ष्मणे। 12/44 इन्हें तो हम अकेले ही अपने धनुष से जीत लेंगे, इसलिए उन्होंने सीता की रक्षा का भार लक्ष्मण को सौंप दिया। ततो बिभेद पौलस्त्यः शक्त्या वक्षसि लक्ष्मणम्। 12/77 तब मेघनाद ने खींचकर लक्ष्मण की छाती में शक्ति-बाण मारा। हत्या निवृत्ताय मृधे खरादीन्संरक्षितां त्वामिव लक्ष्मणो मे। 13/65 खरदूषण आदि राक्षसों को मारकर जब मैं लौटा था, उस समय जैसे लक्ष्मण ने तुम्हें मेरे हाथ सुरक्षित रूप से सौंप दिया था। इत्यादृतेन कथितौ रघुनन्दनेन व्युत्क्रम्य लक्ष्मणमुभौ भरतो ववन्दे। 13/72 राम के इतना आदर पूर्वक उनका परिचय देने के बाद भरत जी ने लक्ष्मण को छोड़कर, पहले उन्हीं दोनों का स्वागत किया। स लक्ष्मणं लक्ष्मण पूर्वजन्मा विलोक्य लोकत्रय गीतकीर्तिः। 14/44 तीनों लोकों में प्रसिद्ध यशस्वी, राम ने जब देखा कि लक्ष्मण उनकी आज्ञा मानने को तत्पर हैं। जुगृह तस्याः पथि लक्ष्मणो यत्सव्येतरेण स्फरता तदक्ष्णा। 14/49 लक्ष्मण ने सीता जी से मार्ग में कुछ भी नहीं बताया, पर सीता जी के दाहिने नेत्र फड़क कर आगे आने वाले दुःख की सूचना दे ही तो दी। अङ्गदं चन्द्रकेतुं च लक्ष्मणोऽप्यात्य संभवौ। 15/90 लक्ष्मण ने अपने दोनों पुत्रों अंगद और चंद्रकेतु को। विद्वानपि तयोः स्थः समयं लक्ष्मणोऽभिनत्। 15/94 उन्होंने द्वार पर बैठे हुए लक्ष्मण से कहा कि :-अभी जाकर राम से कहो मैं आया हूँ, लक्ष्मण जी जानते ही थे कि जो इस समय राम के पास जाएगा, उसे
देश निकाला होगा, फिर भी उन्होंने सूचना दी। 4. सुमित्रात्मज :-[सुमित्रा + आत्मजः] सुमित्रा पुत्र लक्ष्मण।
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