________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रघुवंश
349 तस्याः सुमित्रात्मजयत्नलब्धो मोहादभूत्कष्टतरः प्रबोधः। 14/56 लक्ष्मण ने प्रयत्न करके जो उनकी मूर्छा दूर कर दी, वह बात उन्हें मूर्छा से भी
अधिक कष्टदायक जान पड़ी। 5. सुमित्रातनय :-[सुमित्रा + तनयः] सुमित्रा पुत्र लक्ष्मण।
गुरोर्नियोगाद्वनितां वनान्ते साध्वीं सुमित्रा तनयो विहास्यन। 15/51 वे बड़े भाई की आज्ञा से पतिव्रता सीता को वन में छोड़ने के लिए जाते हुए
लक्ष्मण से मानो कह रही थीं। 6. सौमित्र :-[सुमित्रा + अण, इञ् वा] लक्ष्मण का विशेषण
तस्य पश्यन्ससौमित्रै रुदभुर्वसति दुमान्। 12/14 जब उन्हें वे वृक्ष दिखाए, जिनके तले राम और लक्ष्मण जाते हुए टिके थे, तो उनकी आँखों में आँसू छलक आए। रविसुत सहितेन तेनानुयातः ससौमित्रिणा भुजविजितविमान रत्नाधिरूढः प्रतस्थे पुरीम्। 12/104 सुग्रीव, विभीषण और लक्ष्मण के साथ अपने बाहुबल से जीते हुए पुष्पक विमान पर चढ़कर अयोध्या की ओर लौटे। त्वत्प्राप्ति बुद्धया परिरब्धुकामः सौमित्रिणा साश्रुरहं निषिद्धः। 13/32 तुम्हारे वियोग में मैं ऐसा पागल हो गया था, कि एक दिन इसे यह समझकर गले लगाना चाहा था कि तुम ही हो, तो मेरा पागलपन देखकर रोते हुए लक्ष्मण ने मुझे वहाँ से हटा लिया। सौमित्रिणा तदनु संससृजे स चैनमुत्थाप्य नमशिरसं भृशमालिलिङ्ग। 13/73 तब भरतजी लक्ष्मण से मिले और प्रणाम के लिए झुके हुए लक्ष्मण का सिर उठाकर। सौमित्रिणा सावरजेन मन्दमाधूतबालव्यजनो रथस्यः। 14/11 लक्ष्मण और शत्रुघ्न रथ में बैठे हुए राम पर चंवर डुला रहे थे। अथ व्यवस्थापित वाक्कथं चित्सोमित्रिरन्तर्गत वाष्पकण्ठः। 14/53 पार पहुँचकर लक्ष्मण ने आँसू रोककर, सैंधे हुए गले से सीताजी को राजा की आज्ञा इस प्रकार सुनाई।
For Private And Personal Use Only