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रघुवंश
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वैसे ही राम भी भरत, लक्ष्मण के साथ पताकाओं से सजे हुए और इच्छानुसार
चलने वाले पुष्पक विमान पर चढ़ गए। 10. रघुप्रवीर :-[लंघति ज्ञानसीमानं प्राप्नंति :-लंघु + कु, न लोपः; लस्य र: +
प्रवीरः] राम के विशेषण। तस्यै प्रतिश्रुत्य रघुप्रवीरस्त दीप्सितं पार्श्वचरानुयातः। 14/29 रामचंद्र जी ने उनकी बातें सुनकर कहा :-अच्छी बात है, वहाँ से उठकर वे
अपने सेवकों के साथ। 11. रघुवीर :-[लंघति ज्ञानसीमानं प्राप्नंति :-लंघ् + कु, न लोपः; लस्य रः +
वीरः] राम के विशेषण। श्वश्रूजनानुष्ठितचारुवेषां कीरथस्थां रघुवीरपत्नीम्। 14/13 रामचंद्र जी की पत्नी सीताजी उस समय पालकी पर बैठी चल रही थीं और उन सीताजी को कौशल्या आदि सासों ने बड़े मनोहर ढंग से वस्त्र और आभूषणों से
सजा रखा था। 12. रघूत्तम :-[लंघति ज्ञानसीमानं प्राप्नंति :-लंघ् + कृ; न लोपः, लस्य रः +
उत्तमः] राम के विशेषण। वनानिवृत्तेन रघूत्तमेन मुक्ता स्वयं वेणिरिवाबभासे। 14/12 मानो वन से लौटकर राम ने अयोध्यापुरी का जूड़ा ही अपने हाथ से खोलकर
छितरा दिया हो। 13. रघूद्वहः :-[लंघति ज्ञानसीमानं प्राप्नंति :-लंघ् + कु, न लोपः, लस्य रः + उद्वहः] राम के विशेषण।
आत्त शस्त्रस्तदध्यास्य प्रस्थितः स रघूद्वहः। 15/46
जब रामचंद्र जी अस्त्र-शस्त्र से लैस होकर पुष्पक विमान पर बैठकर चले। 14. राघव :-[रघोर्गोत्रापत्यम् :-अण्] रघुवंशी, रघु की संतान, राम।
लक्ष्मणानुचरमेव राघवं नेतुमैच्छदृषिरित्यसौ नुपः। 11/6 विश्वामित्रजी केवल राम और लक्ष्मण को ही ले जाना चाहते थे। पूर्ववृत्तकथितैः पुराविदः सानुजः पितृसखस्य राघवः। 11/10 राम और लक्ष्मण के पिता के मित्र विश्वामित्र जी, उन्हें मार्ग में पुरानी कथाएँ सुनाते चले जा रहे थे। तां विलोक्य वनितावधे घृणां पत्रिणा सह मुमोच राघवः। 11/17
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