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कालिदास पर्याय कोश ज्वलितेन गुहागतं तमस्तुहिनादेरिव नक्तमोषधिः। 8/54 जैसे रात में चमकने वाली बूटियाँ अपने प्रकाश से हिमालय की अँधेरी गुफा में चाँदनी कर देती हैं। पुत्रं तमोपहं लेभे नक्तं ज्योतिरिवौषधिः। 10/66 जैसे बूटियों में रात को अँधेरा दूर करने वाला प्रकाश आ जाता है, वैसे ही तमोगुण को दूर करने वाला पुत्र उत्पन्न किया। कालान्तरश्यामसुधेषु नक्तमितस्ततो रूढतृणाङ्करेषु। 16/18 बहुत दिनों से मरम्मत न होने के कारण कोठों के चूने का रंग काला पड़ गया है,
और उन पर जहाँ-तहाँ घास जम आई है, उस कारण रात में। 4. निशा :-[नितरां श्यति तनूकरोति व्यापारान् :-शो + क तारा०] रात।
तच्छिष्याध्ययननिवेदिता वसानां संविष्ट: कुशशयने निशां निनाय। 1/95 रात्रि के समाप्त होने पर जब वशिष्ठ जी ने शिष्यों को वेद पढ़ाना प्रारंभ किया, तब उसकी ध्वनि कान में पड़ते ही राजा दिलीप उठ बैठे। निद्रावशेन भवताप्यनवेक्ष्यमाणा पर्युत्सुकत्वमबला निशि खण्डितेव। 5/67 तुम्हारी सौन्दर्य-लक्ष्मी ने जब यह देखा कि तुम निद्रा रूपी दूसरी स्त्री के वश में हो, तब वह रुष्ट होकर तुम्हारे मुख के समान सुन्दर चंद्रमा के पास चली गई थी, पर इस समय रात्रि का चंद्रमा भी मलिन हो गया है। निशि सुप्तमिवैक पङ्कजं विरताभ्यन्तरषट्पदस्वनम्। 8/55 मौन भंवरों से भरे हुए और रात में मुँदे अकेले कमल के जैसा लगने वाला। निशासु भास्वत्कलनूपुराणां यः संचरोऽभूद्भिसारिकाणाम्। 16/12 रात के समय पहले जिन सड़कों पर चमकते हुए बिछुओं वाली अभिसारिकाएँ चलती थीं। अन्तरेव विहररन्दिवानिशं न व्यपैक्षत समुत्सुकाः प्रजाः।। 19/6 वह दिन रात रनिवास के भीतर ही रहकर विहार करने लगा, उसके दर्शन के
लिए जनता अधीर रहती थी, पर वह कभी उनकी सुध नहीं लेता था। 5. यामिनी :-[याम + इनि + ङीप्] रात।
तस्यामेवास्य यामिन्यामन्तर्वनी प्रजावती। 15/3 उसी रात को इनकी गर्भवती भाभी सीता ने दो तेजस्वी पुत्रों को उसी प्रकार जन्म दिया।
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