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रघुवंश
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राजा ने कलंक के डर से अपनी रानी को छोड़ दिया ।
तथेति प्रति पन्नाय विवृता त्मा नृपाय सः । 15/93
राजा राम ने कहा :- अच्छी बात है। तब उसने अपना सच्चा रूप दिखाया और
कहा।
सा यत्र सेना ददृशे नृपस्य तत्रैव समाग्ग्रमतिं चकार । 16 / 29
मार्ग में चलने वाली जितनी भी राजा कुश की सेना की टुकड़ियाँ थीं, वे सब पूरी सेना ही प्रतीत होती थीं ।
ततो नृपेणानु गताः स्त्रियस्ता भ्राजिष्णुना सातिशयं विरेजुः । 16/69 उस कान्तिमान राजा के साथ क्रीडा करती हुई वे रानियाँ, पहले से भी अधिक सुन्दर लगने लगीं।
24. नृपति : - [ नरान् पाति रक्षति :- नृणां पतिः; ष० त०] राजा । जातभिषङ्गो नृपतिर्निषङ्गादृद्धर्तुमैच्छत्प्रसभोद्धृतारिः । 2 / 30
बस झट राजा दिलीप ने उस सिंह को मारने के लिए तूणीर से बाण निकालने को
हाथ उठाया ।
अथ स विषय व्यावृत्तात्मा यथा विधि सूनवे नृपति कुकुदं दत्त्वा यूनेसितातपवारणम् । 3 /70
तब संसार के सब विषय छोड़कर राजा दिलीप ने अपने नवयुवक पुत्र रघु को शास्त्रों के अनुसार छत्र, चँवर आदि राजचिह्न दे दिए। एतावदुक्त्वा प्रतियातु कामं शिष्यं महर्षेर्नृपतिर्निषध्य । 5/18
ऐसा कहकर कौत्स उठकर चलने लगे, राजा रघु ने उन्हें रोका और पूछा तमापतन्तं नृपतेरवध्यो वन्यः करीति श्रुतवान्कुमारः । 5/50
वह हाथी राजा अज की ओर चला आ रहा था, किंतु अज ने सोचा यह जंगली हाथी है, इसको मारना ठीक नहीं है।
नेत्र वज्राः पौरजनस्य तस्मिन्विहाय सर्वान्नृपतीन्निपेतुः । 6/7 वैसे ही नगरवासियों की आँखें सब राजाओं से हटकर अज पर जा लगी थीं। जातः कुले तस्य किलोरुकीर्तिः कुलप्रदीपो नृपतिर्दिलीपः । 6/74
उन्हीं प्रतापी ककुत्स्थ वंश में यशस्वी राजा दिलीप ने जन्म लिया ।
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नृपतिः प्रकृतीरवेक्षितुं व्यवहारासन माददे युवा। 8 / 18 इधर युवा राजा अज जनता के कामों की देखभाल करने के लिए न्याय के आसन पर बैठते थे ।