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रघुवंश
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रथस्वनोत्कण्ठमृगे वाल्मीकीये तपोवने । 15/11
वाल्मीकि जी के आश्रम के मृग उनके रथ के शब्द को सुनकर बड़े चाव से उधर देखने लगे थे ।
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प्राञ्जलिर्मुनिमामन्त्र्य प्रातर्युक्त रथो ययौ । 15/14
अगले दिन तड़के ही वे हाथ जोड़कर मुनि से आज्ञा लेकर रथ पर चढ़कर आगे बढ़े।
2. स्यन्दन :- - [ स्यन्द् + ल्युट् ] युद्धरथ, गाड़ी, रथ ।
स्निग्धगम्भीर निर्घोषमेकं स्यन्दनमास्थितौ । 1 / 36
सेना रथोदारगृहा प्रयाणे तस्याभवज्जंगमराजधानी । 16 / 26
यात्रा के समय चलती हुई कुश की सेना चलती-फिरती राजधानी के समान लगती थी, रथ ऊँची-ऊँची अटारियों जैसे लग रहे थे ।
जिस रथ पर वे दोनों बैठे हुए थे, वह मीठी-मीठी घन-घनाहट करता हुआ चला
जा रहा था ।
मृगद्वन्द्वेषु पश्यन्तौ स्यन्दना बद्धदृष्टिषु । 1/40
हरिणों के जोड़े रथ की ओर एकटक देख रहे हैं।
रजोभिः स्यन्दनोद्धूतैर्गजैश्च घनसंनिभैः । 4/49
रघु के रथों के चलने से जो धूल ऊपर उड़ी, उसने आकाश को पृथ्वी बना दिया सेना के काले-काले हाथी बादल जैसे लग रहे थे ।
उत्थापितः संयति रेणुरश्वैः सान्द्रीकृतः स्यन्दनवंशचक्रैः । 7/39
युद्ध-क्षेत्र में घोड़ों की टापों से जो धूल उठी, उसमें रथ के पहियों से उठी धूल मिलकर और भी घनी हो गई ।
मायाविकल्प रचितैरपि ये तदीयैर्न स्यन्दनैस्तुलितकृत्रिम भक्ति शोभाः ।
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राक्षसों की माया से बनाए हुए रथ भी उनकी सुन्दरता के आगे पानी भरते थे । रथी
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1. रथी : - [ रथ् + इनि] रथयुक्त योद्धा, रथ में बैठकर युद्ध करने वाला योद्धा । पत्तिः पदातिं रथिनं रथेशस्तुरंगसादी तुरगाधि रूढम् । 7/37 पैदल-पैदलों से भिड़ गए, रथवाले रथवालों से जूझ गए, घुड़सवार घुड़सवारों से उलझ पड़े।