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कालिदास पर्याय कोश
रथतुरगजीभिस्तस्य रूक्षालकाग्रा समरविजयलक्ष्मीः सैव मूर्ता बभूव ।
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उनके रथ के घोड़ों की टापों से उठी हुई धूल से इन्दुमती के केश भर गए थे और वह साक्षात् विजय लक्ष्मी जैसी जान पड़ रही थी
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अवनिमेकरथेन वरूथिना जितवतः किल तस्य धनुर्भृतः । 9/11
जिस समय अकेले सुरक्षित रथ पर चढ़े धनुषधारी दशरथजी पृथ्वी जीतते हुए चलते थे।
हरियुग्मं रथं तस्मै प्रजिघाय पुरंदरः । 12/84
इन्द्र ने अपना वह रथ भेजा, जिसमें पीले रंग के घोड़े जुते हुए थे । राघवोरथंप्राप्तां तमाशां च सुरद्विषाम् । 12 / 96
पर राम ने उस शतघ्नी को रथ तक पहुँचने के पहले ही समाप्त कर डाला, यह देखकर राक्षसों की रही-सही आशा भी भंग हो गई। नामाङ्करावणशराङ्कितकेतुयष्टिमूर्ध्वं रथं हरिसहस्रयुजं निनाय । 12 / 103 अपना सहस्रों घोड़ों वाला रथ लेकर स्वर्ग में चला गया, उस रथ की ध्वजा पर अभी तक रावण के नाम खुदे हुए बाणों के चिह्न पड़े हुए थे। सानुप्लवः प्रभुरपि क्षणदाचराणां भेजे रथान्दशरथप्रभवानुशिष्टः । 13/75 राम की आज्ञा से विभीषण और उनके साथी भी रथों पर चढ़ गए, वे रथ यद्यपि मनुष्यों ने बनाए थे, फिर भी वे इतने सुन्दर थे ।
सौमित्रिणा सावरजेन मन्दमाधूतनाल व्यजनो रथस्थः। 14/11 लक्ष्मण और शत्रुघ्न रथ पर बैठे हुए राम पर चँवर डुला रहे थे । श्वश्रूजनानुष्ठित चारुवेषां कर्णीरथस्थां रघुपत्नीम् । 14 / 13
सीताजी उस समय रथ पर बैठी चल रही थीं और जिन्हें सासों ने बड़े मनोहर ढंग से वस्त्रों और आभूषणों से सजा रखा था।
रथात्स यन्त्रा निगृहीतवाहात्तां भातृजायां पुलितेऽवतार्य । 14/52 गंगाजी के तट पर पहुँच कर सारथी ने रथ की रास खींच ली और लक्ष्मण ने सीताजी को रेती पर उतार लिया।
विरराज रथप्रष्ठैर्वालखिल्यैरिवांशुमान् । 15/10
जैसे रथ पर चढ़े हुए सूर्य को बालखिल्य नाम के ऋषि लोग मार्ग दिखाते चलते हैं।
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