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रघुवंश
301 वहाँ रघु ने जिन राजाओं को मार डाला, उनकी स्त्रियाँ इतना रोईं कि उनके गाल लाल हो गए। इत्यर्ध्वपात्रानुमितव्यस्य रघोरुदारामपि गां निशम्य। 5/12 कौत्स ने ध्यान से रघु की उदार बातें सुनीं, पर देखा कि उनके हाथ में केवल मिट्टी का पात्र बचा है, तो उनका मुँह उतर गया। गुर्वर्थमर्थी श्रुतपारदृश्वा रघोः सकाशादनवाप्य कामम्। 5/24 तब चन्द्रमा के समान सुन्दर परम धार्मिक रघु बोले “आप जैसे वेदपाठी ब्राह्मण गुरु दक्षिणा के लिए हमारे पास आवे और यहाँ से निराश होकर लौटे।" गामात्तसारां रघुरप्यवेक्ष्य निष्क्रष्टुमर्थं चकमे कुवेरात्। 5/26 रघु ने भी देखा कि पृथ्वी पर तो धन है नहीं, इसलिए उन्होंने निश्चय किया कि
कुबेर से ही धन लिया जाये। 4. सुदक्षिणासूनु :-रघु का विशेषण ।
नृपस्य नातिप्रमनाः सदोगृहं सुदक्षिणासूनुरपि न्यवर्तत। 3/67 सुदक्षिणा के पुत्र रघु भी अपने पिता राजा दिलीप की सभा में लौट आए।
रघुसूनु 1. अज :-[न जायते नञ् :-जन् + ड] अज, एक सूर्यवंशी राजा का नाम।
अतः पिता ब्रह्मण एव नाम्ना तमात्मजन्मानमजं चकार। 5/36
ब्राह्म मुहूर्त में जन्म होने से पिता ने ब्रह्मा के नाम पर लड़के का नाम अज रखा। 2. रघुसूनु :-अज, रघुपुत्र अज।
रराज धाम्ना रघुसूनुरेव कल्पदुमाणामिव पारिजातः। 6/6 जैसे नंदन वन के वृक्षों में पारिजात ही सबसे अधिक सुन्दर है, वैसे ही राजाओं के बीच में अकेले अज ही खिल रहे थे। तस्यां रघोः सूनुरुपस्थितायां वृणीत मां नेति समाकुलाऽभूत्। 6/68 जब वह रघु के पुत्र अज के आगे आकर खड़ी हो गई, तब अज के मन में भी यह धुकधुकी होने लगी कि यह मुझे वरेगी या नहीं।
1. पराग :-[परा + गम् + ड] पुष्परज, धूलि, धूल।
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