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कालिदास पर्याय कोश कामदेव के समान सुन्दर अज ने वह गान्धर्व अस्त्र राजाओं पर छोड़ा, जिससे
निद्रा आ जाती है। 4. कुसुमचाप :-[कुष् + उम् + चापः] कामदेव के विशेषण।
कुसुमचापमतेजय दंशुभि हिमकरो मकरोर्जितकेतनम्। 9/39 पाला दूर हो जाने से चन्द्रमा निर्मल हो गया, उसकी ठंडी किरणों से कामदेव के
फूलों के धनुष को मानो और भी अधिक बल मिल गया हो। 5. पुष्पचाप :-[पुष्प् + अच् + चापः] कामदेव।
शैलसारमपि नातियत्नतः पुष्पचापमिव पेशलं स्मरः। 11/45 उस पर्वत के समान भारी धनुष वर वैसी ही सरलता से डोरी चढ़ा दी, जैसे
कामदेव अपने फूलों के धनुष पर डोरी चढ़ाता है। 6. मदन :-[माद्यति अनेन :-मद् करणे ल्युट्] कामदेव। रम्यां रघु प्रतिनिधिः स नवोपकार्यां बाल्यात्परामिव दशां मदनोऽध्युवास।
5/63 उस भवन में रघु के प्रतिनिधि अज ऐसे रहने लगे, मानो कामदेव ने अपना बचपन बिताकर जवानी में पैर धरा हो। ध्वजपटं मदनस्य धनु तश्छविकरं मुखचूर्णमृतुश्रियः। 9/45 मानो धनुषधारी कामदेव का झंडा हो या वसंतश्री के मुख पर लगाने का श्रृंगार चूर्ण हो। विग्रहेण मदनस्य चारुणा सोऽभवत्प्रतिनिधिर्न कर्मणा। 11/13 मानो वे वहाँ कामदेव की सुन्दरता के प्रतिनिधि बनकर आए हों, उसके कार्यों
के नहीं। 7. मनसिज :-[मनसि जायते :-जन् + ड, अलुक् स०] कामदेव
अथ मधु वनितानां नेत्रनिर्वेशनीयं मनसिज तरुपुरुषं रागबंध प्रवालम्। 18/52 तब सुदर्शन के शरीर में वह जवानी आ गई, जो स्त्रियों के आंखों की मदिरा होती है। मनोभव :-[मन्यतेऽनेन मन् करणे असुत् + भवः] कामदेव, मनुज। दग्ध्वापि देहं गिरिशेन रोषात्खंडी कृताज्येव मनोभवस्य। 16/51 मानो कामदेव का शरीर भस्म करने के पश्चात् शिवजी के हाथ से तोड़ी हुई कामदेव के धनुष की डोरी हो।
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