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रघुवंश
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श्रमजयात्प्रगुणां च करोत्यसौ तनुमतोऽनुमतः सचिवैर्ययौ। 9/49 परिश्रम करने से शरीर भी भली प्रकार गठ जाता है, इसलिए मंत्रियों से सम्मति लेकर वे आखेट के लिए निकल पड़े। संनिवेश्य सचिवेष्वतः परं स्त्रीविधेयनयौवनोऽभवत्। 19/4 कुछ दिनों तक तो उन्होंने स्वंय राजकाज देखा, फिर मंत्रियों पर राज्य का भार डालकर जवानी का रस लेने लगे।
मंद
1. मंद :-[मन्द् + अच्] जड़, मंदबुद्धि, मूढ, अज्ञानी।
मंदः कवियशः प्रार्थी गमिष्याम्युपहास्यताम्। 1/3 मैं हूँ तो मूर्ख, पर मेरी साध यह है कि बड़े-बड़े कवियों में मेरी गिनती हो यह
सुनकर लोग मुझ पर अवश्य हँसेंगे। 2. मूढ़ :-[मुह् + क्त] नासमझ, मूर्ख, मंदबुद्धि।
अल्पस्य हेतोर्बहु हातुमिच्छन्विचारमूढः प्रतिभासि मे त्वम्। 2/47 हे राजन् ! जान पड़ता है कि तुममें यह सोचने की शक्ति भी नहीं रह गई है कि तुम्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
मदन 1. अनंग :-[अन् + अच् + अङ्गः] कामदेव।
आत्मलक्षण निवेदितानृतूनत्यवाहयदनंगवाहितः। 19/47 वह काम क्रीड़ा के लिए भिन्न-भिन्न ऋतुओं में भिन्न-भिन्न प्रकार का वेश बनाया करता था, इसलिए उसके वेश को देखकर ज्ञात हो जाता था कि किस
समय कौन सी ऋतु है। 2. काम :-[कम् + घञ्] कामदेव।
रते गृहीतानुनयेन कामं प्रत्यर्पितस्वांगमिवेश्वरेण। 6/2 मानो साक्षात कामदेव हों, जिसे शिवजी ने रति की प्रार्थना पर फिर से जीवित
कर दिया हो। 3. कुसुमास्त्र :-[कृष् + उम् + अस्त्रः] कामदेव।
गान्धर्वमस्त्रं कुसुमास्त्रकान्तः प्रस्वापनं स्वप्ननिवृत्तलौल्यः। 7/61
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