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रघुवंश
स भ्रातृसाधरण भोगमृद्धं राज्यं रजोरिक्तमनाः शशास । 14 / 85 राम भाइयों के साथ अपने भरे-पूरे राज्य का शासन करने लगे । चकारवितथां भ्रातुः प्रतिज्ञां पूर्वजन्मनः । 15/95
लक्ष्मण ने अपने बड़े भाई की प्रतिज्ञा की रक्षा कर ली ।
म
मंगल
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1. कल्याण :- [ कल्पे प्रातः अण्यते शब्दद्यते : - अण्- घञ् ] आनंददायक, सुखकर, सौभाग्यशाली, भाग्यवान ।
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कल्याण बुद्धेरथवा तवायं न कामचारो मयि शंकनीयः । 14/62
पर नहीं, आप तो सबकी भलाई करने वाले हैं, आप अपने मन से हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते।
2. क्षेम :- [क्षि + मन्] आराम, कल्याण, कुशलता ।
आदिदेशाथ शत्रुघ्नं तेषां क्षेमाय राघवः । 15/6
राम ने उन मुनियों की रक्षा का भार शत्रुघ्न को सौंपा।
3. मंगल : - [ मङ्गू + अलच्] शुभ, भाग्यशाली, कल्याणप्रद, समृद्ध ।
धेनुं सवत्सां च नृपः प्रतस्थे सन्मंगलोदग्रतरप्रभावः । 2/71
विदा लेते समय राजा ने बछड़े के साथ बैठी हुई नंदिनी की परिक्रमा की, महर्षि के आशीर्वाद से उनका तेज और भी अधिक बढ़ गया था ।
सुखश्रवा मंगल तूर्यनिस्वनाः प्रमोदनृत्यैः सह वारयोषिताम् । 3/19 वह बालक तो संसार का कल्याण करने वाला था, इसलिए उसके जन्म लेने पर राजमंदिर में मनोहर बाजे और वेश्याओं के नाच आदि उत्सव हो रहे थे । प्रहमातशंखे परितो दिगन्तस्तूर्यस्वने मूर्च्छति मंगलार्थे । 6/9
जिन शंखों और मंगल बाजों के बजने पर उनकी ध्वनि से दसों दिशाएँ गूँज उठीं।
अरमत मधुराणि तत्र शृण्वन्विहगविकूजितबन्दिमंगलानि । 9/71
उस समय वन के पक्षी चारणों के समान जो मंगलगीत गाते थे, उन्हें सुनकर ये मगन हो जाते थे ।
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4. शिव :- [ श्याति पापम् :- शो + वन्, पृषो०] शुभ, मांगलिक, सौभाग्यशाली । तैः शिवेषु वसतिर्गताध्वभिः सायमाश्रमतरुष्वगृह्यत । 11/33