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कालिदास पर्याय कोश
सा चकारागरागेण पुष्पोच्चलित षट्पदम्। 12/27
उन्होंने सीताजी के शरीर में ऐसा सुगंधित अंगराग लगाया कि उसकी पवित्र गंध पाकर भौरे भी जंगली फूलों से उड़-उड़कर उधर ही टूट पड़े।
भ्राता
1. बन्धु :- [ बन्ध् + उ ] बंधु, बांधव, भाई ।
अथानाथाः प्रकृतयो मातृबन्धु निवासिनम् | 12/12
यह देखकर अयोध्या की अनाथ प्रजा ने उन्हें माता के भाईयों के निवास ( ननिहाल ) से ।
दुर्जातबन्धुरयमृक्ष हरीश्वरो मे पौलस्त्य एष समरेषु पुरः प्रहर्ता । 13 /72 ये वानरों और भालुओं के सेनापति हैं और बड़े गाढ़े दिनों में यह हमारे काम आए हैं। ये पुलस्त्य कुल में उत्पन्न हुए विभीषण हैं, ये युद्ध के समय हमसे आगे बढ़ - बढ़कर शत्रुओं पर प्रहार करते थे ।
2. भ्राता :- [ भ्राज्+ तृच्, पृषो० ] भाई, सहोदर ।
तौ प्रणामचलकाकपक्षकौ भ्राता राव बभृथा प्लुतो मुनिः । 11/31 महर्षि विश्वामित्र ने उन भाइयों को बड़ा आशीर्वाद दिया, जिनकी लटें प्रणाम करते समय झूल रही थीं ।
सविसृष्टस्तथेत्युक्त्वा भ्रात्रा नैवाविशत्पुरीम् | 12/8
राम ने अपनी खड़ाऊँ भाई भरत को दे दी, उसे लेकर भरत जी लौटे, पर वे अयोध्या में नहीं आए।
अकालेबोधितो भ्रात्रा प्रियस्वप्नो वृथा भवान्। 12/81
तुमको नींद बड़ी प्यारी है, तुम्हारे भाई ने व्यर्थ ही तुम्हें असमय में जगा दिया। इक्ष्वाकुवंश गुरवे प्रयतः प्रणम्य स भ्रातरं भरतमर्ध्य परिग्रहान्ते । 13/70 राम ने पहले इक्ष्वाकुवंश के गुरु वशिष्ठजी को प्रणाम किया, फिर अर्ध्य ग्रहण करके, उन्होंने पहले भाई भरत जी को छाती से लगा लिया।
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न कश्चन भ्रातृषु तेषु शक्तो निषेद्धुमासी दनुमोदितं वा । 14 / 43 तब भाइयों में से न तो कोई उनका समर्थन ही कर सका, न विरोध ही । विडौजसा विष्णुरिवाग्रजेन भ्रात्रा परवानसि त्वम् | 14/59 जैसे इन्द्र के छोटे भाई विष्णु सदा अपने बड़े भाई की आज्ञा मानते हैं, वैसे ही तुम भी अपने बड़े भाई की आज्ञा मानने वाले हो ।