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कालिदास पर्याय कोश वे कुछ दूर चले तो सांझ हो गई और वे उस आश्रम के सुन्दर वृक्षों के तले टिक गए। राज्ञः शिवं सावरजस्य भूयादित्याशशंसे करणैरबाःि । 14/50 वे मन ही मन मनाने लगी कि भाइयों के साथ राजा सुख से रहें।
मंडल 1. अनीक :-[अन् + ईषक्] दल, समूह, झंड।
नवाम्बुदानीकमुहूर्तलाञ्छने धनुष्यमोघं समधत्त सायकम्। 3/53 इन्द्र का वह धनुष इतना सुंदर था, कि थोड़ी देर के लिए उसने नए बादलों के
समूह में इन्द्र धनुष जैसे रंग भर दिए। 2. दल :-[दल् + अच्] टोली, झुंड, समूह।
ताम्बूलीनां दलैस्तत्र रचिताऽऽपान भूमयः। 4/42
रघु के वीर सैनिकों के समूह ने वहाँ पान के पत्ते बिछाकर मदिरालय बनाया। 3. मंडल :-[मण्ड् + कलच्] समुदाय, संग्रह, समूह, संघात, टोली।
तेन सिंहासनं पित्र्यमखिलं चारिमंडलम्। 4/4 रघु ने पिता के सिंहासन पर और अपने शत्रुओं के समूह पर एक साथ अधिकार कर लिया। स्फुरत्प्रभामंडलमानुसूयं सा बिभ्रती शाश्वत मंगरागम्। 14/14 सीताजी के शरीर पर अब भी वह अमिट कांति वाला अंगराग लगा हुआ था, जो
अनसूयाजी ने लगा दिया था, जिससे उनका शरीर प्रकाशित हो रहा था। 4. यूथ :-[यु + थक्, पृषो० दीर्घः] भीड़, टोली, झुण्ड।
स पल्वलोत्तीर्ण वराह यूथान्यावास वृक्षोन्मुख बर्हिणानि। 2/17 राजा दिलीप देखते हुए चले जा रहे थे कि कहीं तो छोटे-छोटे तालों में से सुअरों के झुंड निकल-निकल कर चले जा रहे थे। कहीं मोर अपने बसेरों की ओर उड़े जा रहे थे। ऊर्ध्वाकुर प्रोतमुखं कथंचित्क्लेशादपक्रामति शंखयूथम्। 13/13
इन जीवित शंखों के मुंह छिद गए हैं और उस पीड़ा से शंखों के ये समूह बड़ी • कठिनाई से इधर-उधर चल पा रहे हैं। 5. संघात :-[सम् + हन् + घञ्] संघ, मिलाप, समाज, समुदाय।
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