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रघुवंश
नृत्यं मयूराः कुसुमानि वृक्षा दर्भानुपात्तान्विजहुर्हरिण्यः । 14/69
उनका रोना सुनकर मयूरों ने नाचना बंद कर दिया, वृक्ष फूल के आँसू गिराने लगे और हरिणियों ने मुँह में भरी हुई घास का कौर गिरा दिया। तत्प्रतिद्वन्द्विनो मूर्ध्नि दिव्याः कुसुमवृष्टयः । 15/25
उसके प्रतिद्वन्दी शत्रुघ्न के सिर के ऊपर स्वर्ग से फूलों की वर्षा होने लगी । आधूय शाखाः कुसुमदुमाणां स्पृष्ट्वा च शीतान्सरयूतरंगान् । 16/36 अयोध्या के उपवनों में फूले हुए वृक्षों की डालियों को हिलाता हुआ तथा सरयू के शीतल जल के स्पर्श से ठंडा वायु ।
2. पुष्प :- [ पुष्प+अच्] फूल, कुसुम ।
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पुष्परेणूत्किरैर्वातैराधूत वनराजिभिः । 1/38
फूलों के पराग उड़ाता हुआ और वन के वृक्षों की पाँतों को धीरे-धीरे कँपाता हुआ पवन ।
पृक्तस्तुषारैर्गिरिनिर्झराणा मनोकहा कम्पित पुष्पगंधी । 2 / 13
पहाड़ी झरनों की ठंडी फुहारों से लदा हुआ और मंद-मंद कँपाए हुए वृक्षों की फूलों की गंध में बसा हुआ वायु ।
शशाम वृष्टयापि बिना दवाग्नि रासीद्विशेषा फल पुष्प वृद्धिः । 2/14 वर्षा के बिना ही वन की आग ठंडी हो गई, वहाँ के पेड़ भी फल और फूलों से लद गए।
अवांग्मुखस्योपरि पुष्पवृद्धिः पपात विद्याधर हस्तमुक्ता । 2/60 इतने में ही नीचा मुँह किये राजा दिलीप के ऊपर आकाश से विद्याधरों ने फूलों की झड़ी लगा दी ।
फलेन सहकारस्य पुष्पोद्गम इव प्रजाः । 4 / 9
जैसे आम के सुन्दर फल देखकर लोग उसके बौर (फूल) को भूल जाते हैं। रत्नपुष्पोपहारेण च्छायामानर्च पादयोः । 4 / 84
जैसे कोई भक्त फूल-माला आदि से भक्तिपूर्वक देवता की पूजा करता है, वैसे ही उसने रघु के चरणों की छाया को रत्नों से पूजा ।
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अथ प्रभवोपनतैः कुमारं कल्पदुमोत्थैरवकीर्य पुष्पैः । 5 / 52
उस पुरुष ने अपने प्रभाव से कल्पवृक्ष के फूल मँगाकर अज के ऊपर बरसाये । वृन्ताछ्लथं हरति पुष्पमनोकहानां संसृज्यते सरसिजैररुणांशु भिन्नैः । 5/69