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रघुवंश
रोगशान्तिमपदिश्य मंत्रिणः संभृते शिखिनि गूढमादधुः। 19754 मंत्रियों ने रोग शान्ति के बहाने से राजा के शव को राजभवन के उपवन में ही
चुपचाप जलती अग्नि में रख दिया। 13. हवि :-[हूयते हु कर्मणि असुन्] अग्नि।
अन्वासितमरुन्धत्या स्वाहयेव हविर्भुजम्। 1/56 जिनके पीछे देवी अरुंधती जी भी उसी प्रकार बैठी थीं, जैसे अग्नि के पीछे स्वाहा। हविरावर्जितं होतस्त्वया विधिवदग्निषु। 1/62 हे यज्ञ करने वाले! आप जब शास्त्रीय विधि से अग्नि में हवन करते हैं, तो आप आहुतियाँ। मुमूर्छ सहजं तेजो हविवेष हविर्भुजां। 10/79
जैसे घी आदि पड़ने से हवन की अग्नि का स्वाभाविक तेज बढ़ जाता है। 14. हुताशन :-[हु+क्त+अशन:] अग्नि।
प्रदक्षिणी कृत्य हुतं हुताशमनन्तरं भर्तुररुंधतीं च। 2/72 पहले हवन कुण्ड की, फिर गुरु वशिष्ठ जी की, तब माता अरुंधती की प्रदक्षिणा की। दिनान्ते निहितं तेजः सवित्रेव हुताशनः। 4/1 जैसे साँझ के सूर्य से तेज लेकर आग चमक उठती है। हुतहुताशनदीप्ति वनश्रियः प्रतिनिधिः कनकाभरणस्य यत्। 9/40 हवन की अग्नि के समान चमकते हुए कनैर के फूल वनलक्ष्मी के कानों के कर्णफूल जैसे जान पड़ते थे। एधान्हुताशनवतः स मुनिर्ययाचे पुत्रं परा सुमनुगन्तुमनाः सदारः। 9/81 यह सुनकर उस मुनि ने कहा हम और हमारी स्त्री, अब अपने पुत्र के साथ ही मर जाएँगे, इसलिए अब हमारे लिए ईंधन और अग्नि जुटाओ।
अग्रज
1. अग्रज :-[अङ्ग+रन् नलोपश्च+ज] पहले पैदा या उत्पन्न हुआ।
उन्मुखः सपदि लक्ष्मणाग्रजो बाणमाश्रयमुखात्समुद्धरन्। 11/2 उसी समय राम ने अपने तूणीर से बाण निकाले और ऊपर मुँह करके आकाश की ओर देखा।
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