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कालिदास पर्याय कोश
प्रत्यग्रहीदग्रजशासनं तदाज्ञा गुरूणां ह्यविचारणीया । 14 / 46
इसलिए उन्होंने पिता के समान राम की आज्ञा सिर चढ़ा ली, क्योंकि बड़ों की आज्ञा में मीन मेख निकालना ठीक नहीं है।
विडौजषा विष्णुरिवाग्रजेन भ्रात्रा यदित्थं परवानसि त्वम् | 14 / 9
जैसे इन्द्र के छोटे भाई विष्णु सदा अपने बड़े भाई की आज्ञा मानते हैं, वैसे ही तुम बड़े भाई की आज्ञा मानने वाले हो ।
शशंस सीता परिदेवनान्तमनुष्ठितं शासनमग्रजाय । 14 / 83
सीताजी ने रो-रोकर जो बातें कहीं थीं, वे सब लक्ष्मण जी ने यह सोचकर राम से कह दीं कि ।
तमभ्यनन्दत्प्रणतं लवणान्तकमग्रजः । 15/40
जब लवणासुर को मारने वाले शत्रुघ्न जी उन्हें प्रणाम करने को झुके, तब राम ने भी उनका अभिनंदन किया।
2. प्रथमज :- [ प्रथ्+अमच्+ज ] सबसे पहले पैदा हुआ।
स हि प्रथमजे तस्मिन्नकृत श्री परिग्रहे । 12/16
जिस राज्य को बड़े भाई ने स्वीकार नहीं किया, उसे लेना मैं उतना ही बड़ा पाप समझता हूँ।
अद्रिराज
1. अद्रिराज : - [ अद्+क्रिन्+राज] आद्रि, पहाड़ राज, हिमालय । आभाति बालात परक्त सानुः सनिर्झरोद्गार इवाद्रिराज: 16/60
इस वेश में ये उस हिमालय के शिखर के समान सुन्दर लग रहे हैं, जो प्रात:काल धूप में लाल हो गया हो और जिस पर से अनेक पानी के झरने गिर रहे हों । 2. गौरीगुरू :- [ गौर ङीष् + गुरुः] हिमालय पहाड़ ।
गंगा प्रपातांतविरूढशष्पं गौरी गुरोर्गह्वरमाविवेश । 2 / 26
वह झट हिमालय की उस गुफा में बैठ गई, जिसमें गंगाजी की धारा गिर रही थी और जिसके तट पर घनी हरी-भरी घास खड़ी हुई थी ।
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ततो गौरी गुरुं शैलमारुरोहाश्वसाधनः । 4 / 71
अपने घोड़ों की टापों से उठी धूल से हिमालय की चोटियों को और भी ऊँची करना चाहते
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