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कालिदास पर्याय कोश अपने तीखे बाणों से उसके सिरों को कमल के समान उतार कर रणभूमि को भेंट चढाऊँगा। नाम्भसां कमल शोभिनां तथा शाखिनां च न परिश्रमच्छिदाम्। 11/12 कमलों से भरे हुए सरोवरों तथा थकावट हरने वाले वृक्षों की छाया को देखकर
भी।
8. कुवलय :-[कोः पृथिव्याः वलयमिव-उप० स०] कमल, कमलस्थली, कुमुद। पुरमविशद्योध्या मैथिलीदर्शिनीनं कुवलयित गवाक्षां लोचनैरंगनानां।
11/93 फिर वे उस अयोध्या नगरी में पहुंचे, जहाँ सीताजी को देखने के लिए उत्सुक,
नगर की सुंदर स्त्रियों की आँखें झरोंखों में कमल के समान दिखाई पड़ रही थीं। १. कुशेशय :-[कुशे+शी+अच्, अलुक् स०] कुमुद, कमल।
पौत्रः कुशस्यपि कुशेशयाक्षः ससागरां सागरधीर चेताः। 18//14
कमल के समान नेत्र वाले, समुद्र के समान गंभीर चित्तवाले कुश के पौत्र ने भी। 10. तामरस :-[तामरे जल सस्सि-सस्+ड] लाल कमल।
सशरवृष्टिमुचा धनुषा द्विषां स्वनवता नवतामरसाननः। 9/12 वैसे ही नये कमल के समान सुन्दर मुख वाले दशरथ जी ने अपने बाण बरसाने
वाले धनुष से शत्रुओं को मारकर बिछा दिया। 11. पंकज :-[पंक+जन्+ड] कमल।
तिरश्चकार भ्रमराभिलीनयोः सुजातयोः पंकजकोशयोः श्रियम्। 3/8 उनकी शोभा के आगे कमल के जोड़े पर बैठे हुए भौरों की शोभा भी हार मान बैठीं। पार्थिवश्रीद्धितीयेव शरत्पंकजलक्षणा। 4/14 उस समय दूसरी राज्य-लक्ष्मी के समान वह शरद ऋतु आ गई थी, जिसमें चारों
ओर सुन्दर कमल खिल गए थे। निमीलितानामिव पंकजानां मध्ये स्फुरन्तं प्रतिमाशशांकम्। 7/64 मानो मुँदे हुए कमलों के बीच में चन्द्रमा चमकता हो। निशि सुप्तमिवैकपंकजं विरताभ्यन्तरषट् पदस्वनम्। 8/55 मौन भौंरों से भरे हुए और रात में मुदे अकेले कमल के जैसा लगने वाला। अन्यत्रमाला सित पंकजानामिन्दीवरैरुत्खचितान्तरेव। 13/54
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