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सकता था।
2. विनेता : - शिक्षक, चालक,
नियंतु
1. नियंतु :- [ नि+यम्+ तृच् ] सारथि, राज्यपाल, शासक, स्वामी, चालक ।
ते व्यतीयुः प्रजास्तस्य नियन्तुर्नेमिवृत्तयः । 1/17
राजा दिलीप ने ऐसे अच्छे ढंग से प्रजा की देखभाल की थी कि प्रजा का कोई भी व्यक्ति मनु के बताए हुए नियमों से बहककर चलने का साहस नहीं कर
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कालिदास पर्याय कोश
सारथि ।
ये को नु विनेता वां कस्य चेदं कृतिः कवेः । 15 / 69
तुम्हें किसने संगीत सिखाया है, यह किस कवि की रचना है।
निशीथ
1. अनर्थी :- अर्थहीन, उदासीन ।
1. अर्धरात्रि : - [ ऋध्+ णिच् + अच्+रात्र : ] आधी रात ।
एक दिन आधी रात को जब शयन गृह का दीपक टिमटिमा रहा था, लोग सोए हुए थे ।
2. निशीथ : - [ निशेरते जना अस्मिन् -निशी अधारे थक - तारा०] आधीरात, रात । निशीथदीपाः सहसा हतत्विषो बभूवुरालेख्यसमर्पिता इव । 3/15
आधी रात के समय घर में रक्खे हुए दीपों का प्रकाश भी एक दम फीका पड़ गया, वे ऐसे जान पड़े मानो चित्र में बने हुए हों ।
निस्पृह
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अमेयो मितलोकस्त्वमनर्थी प्रार्थनावहः । 10/18
आप कितने बड़े हैं, यह तो कोई नहीं माप सकता, पर आपने सब लोक माप हैं। आपकी स्वयं कोई इच्छा नहीं है, पर आप सब की इच्छाएँ पूरी करते
हैं।
2. निर्मम : - [ नृ + क्विप्, इत्वम्+ मन्यु] संयमी, उदासीन, विरक्त । निर्ममे निर्ममोऽर्थेषु मधुरां मधुराकृतिः । 15/28 तब पराक्रमी, संयमी और सुंदर शत्रुघ्नने ।
3. निर्व्यपेक्षा : - [ नृ + क्विप्, इत्वम्+ व्यपेक्ष ] उदासीन, निरपेक्ष ।
और सब