________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
156
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कालिदास पर्याय कोश
नभसा निभृतेन्दुना तुलामुदितार्केण समारुरोह तत् । 8/15
उस समय सूर्य वंश उस आकाश के समान लग रहा था, जिसमें एक ओर चंद्रमा छिप रहे हों और दूसरी ओर सूर्य निकल रहे हों ।
अथ नभस्य इव त्रिदशायुधं कनकपिंगतडिद्गुण संयुतम् । 9/54
उस समय वे उस भादों महीने के आकाश के समान लग रहे थे, जिसमें इंद्र धनुष निकला हुआ हो और जिसमें सोने के रंग की पीली बिजली की डोरी बंधी हो ।
अयत्नवालव्यजनीबभूर्वर्हंसा नभोलंघनलोल पक्षाः । 16/33
उस समय आकाश में जो चंचल पंखों वाले हंस उड़ते थे, वे कुश पर ढलते हुए चंवर के समान लग रहे थे ।
ख्यातं नभः शब्दं येन नाम्ना कान्तं नमोमासमिव प्रजानाम् । 18/6 उन्हें आकाश के समान साँवला नभ नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ, जो लोगों को सावन के महीने के समान प्यारा था ।
For Private And Personal Use Only
नवेन्दुना तन्नभसोपमेयं शावैक सिंहेन च काननेन । 18/37 जैसे द्वितीया चंद्रमा से आकाश, सिंह के बच्चे से वन शोभा देता है । 10. व्योम :- [ व्ये+मनिन्, पषो०] आकाश, अंतरिक्ष ।
भुवस्तलमिव व्योम कुर्वन्व्योमेव भूतलम् | 4 / 29
पृथ्वी को आकाश जैसा और आकाश को पृथ्वी जैसा बना दिया। स्फुरत्प्रभा मंडलमध्यवर्ति कान्तं वपुर्व्योम चरं प्रपेदे | 5/51 देवताओं के समान सुंदर और तेजपूर्ण शरीर लेकर खड़ा हो गया । तद्व्योम्नि शतधा भिन्नं ददृशे दीप्तिमन्मुखम् । 12 / 98
वह ब्रह्मास्त्र आकश में जाते ही दस भागों में फट गया और उसमें से जो आग निकली, वह ऐसी थी ।
व्योम पश्चिम कला स्थितेन्दु वा पंक शेष मिव धर्म पल्लवम् | 19 / 51 जैसे एक कला भर बचा हुआ कृष्णपक्षी की चतुर्दशी का आकाश का चंद्रमा हो या कीचड़ भर बचा हुआ गर्मी के दिनों का ताल हो ।
नवपल्लव
1. किसलय-[किञ्चित शलति किम्+शल्+क (कयन्) वा० पृषो० साधु० ]