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रघुवंश
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9. धन्वी :-[धन्+वन्+णिच्] धनुर्धर। आकर्णकृष्टमपि कामितया स धन्वी बाणं कृपा मृदुमनाः प्रतिसंजहार।
9/57 यह प्रेम देखकर धनुषधारी राजा दशरथ का हृदय भी दया से भर गया और उन्होंने कान तक खींचा हुआ भी अपना बाण उतार लिया। तौ निदेशकरणोद्यतौ पितुर्धन्विनौ चरणयोर्निपेततुः। 11/4 पिता की आज्ञा पालन करने को प्रस्तुत दोनों धनुषधारी राजकुमार अपने पिता के चरणों में प्रणाम करने को झुके ही थे। धन्विनौ तमृषिमन्वगच्छतां पौर दृष्टिकृत मार्गतौरणौ। 11/5 जब धनुष लेकर दोनों राजकुमार विश्वामित्र जी के पीछे चले जा रहे थे, उस समय पुरवासियों की आँखें ऐसी दीखती थीं, मानो नेत्रों की बंदनवारें बाँध दी गई हों। गुरुर्विधि बलापेक्षी शमयामास धन्विनः। 15/85 पर ब्रह्माजी तो सब कुछ जानते ही थे, उन्होंने आकर धनुषधारी राम को समझाया और उनका क्रोध शान्त किया। वशिष्ठस्य गुरोर्मन्त्राः सायकास्तस्य धन्विनः। 17/38 गुरु वशिष्ठ के मंत्र और धनुषधारी राजा के बाण दोनों ने।
धीमान्
1. धीमान् :-[धी+मतुप्] बुद्धिमान्, प्रतिभाशाली, विद्वान्।
निगृह्य शोकं स्वयमेव धीमान्वर्णाश्रमावेक्षण जागरूकः। 14/85 वर्णाश्रम धर्म के रक्षक बुद्धिमान राम संसार के सुखों का मोह छोड़कर और
शोक को रोककर। 2. मतिमान् :-[मन्+क्तिन्+मान्] बुद्धिमान्, विद्वान्, प्रतिभाशाली।
रात्रिर्गता मतिमतांवर मुंच शय्यां धात्रा द्विधैव ननु धूर्जगतोविभक्ता। 5/66 हे परमबुद्धिमान् ! रात ढल गई है, अब शय्या छोड़िए। ब्रह्मा ने पृथ्वी का भार केवल दो भागों में बाँटा है।
धेनु
1. गृष्टि :-[गृह्णाति सकृत गर्भम्-ग्रह+क्त्व् िपृषो० तारा०] एक बार ब्याई हुई
गौ या गाय।
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