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कालिदास पर्याय कोश
राम कोई साधारण धनुषधारी थोड़े ही थे, उन्होंने धनुष पर अमोघ अस्त्र चढ़ाकर। ततः स कृत्वा धनुराततज्यं धनुर्धरः कोप विलोहिताक्षः। 16/77 यह सुनते ही धनुषधारी कुश की आँखें क्रोध से लाल हो गईं और वहीं तट पर
खड़े होकर उन्होंने धनुष को ठीक किया। 6. धनुर्भूत :-[धन्+उसि+भृतः] धनुर्धर, धनुषधारी।
धनुर्भृतामग्रत एव रक्षिणां जहार शक्रः किल गूढ विग्रहः। 3/39 इन्द्र ने अपने को छिपाकर धनुषधारी रक्षकों को देखते-देखते उस घोड़े को चुरा लिया। अप्यर्धमार्गे परबाणलूना धनुर्भृतां हस्तवतां पृषत्काः । 7/45 जिन धनुषधारियों के हाथ बाण चलाने में सधे हुए थे, उनके बाण यद्यपि शत्रुओं के बाणों से बीच में ही दो टूक हो जाते। अवनिमेकरथेन वरूथिना जितवतः किल तस्य धनुर्भूतः। 9/11 जिस समय अकेले सुरक्षित रथ पर चढ़े कुबेर के समान संपत्तिशाली धनुषधारी दशरथजी पृथ्वी जीतते हुए चलते थे। असकृदेकरथेन तरस्विना हरिहयाग्रसरेण धनुर्भृता। 9/23 अकेले रथ पर चढ़कर युद्ध करने वाले पराक्रमी धनुर्धर और युद्ध में इन्द्र से आगे चलने वाले दशरथ ने। ध्वजपटं मदनस्य धनुर्भूतश्छविकरं मुखचूर्णमृतुश्रियः। 9/45 मांनो धनुषधारी कामदेव का झण्डा हो या वसंतश्री के मुख पर लगाने का श्रृंगार चूर्ण हो। हेपिता हि बहवो नरेश्वरास्तेन तात धनुषा धनुर्भृतः। 11/40
इस धनुष को उठाने में बड़े-बड़े धनुषधारी राजा अपना सा मुँह लेकर रह गए। 7. धनुष्मान :-[धन्+उसि+मान] धनुर्धर।।
रथी निषंगी कवची धनुष्मान्दृप्तः स राजन्यकमेकवीरः। 7/56 वैसे ही घोड़े पर चढ़े तूणीर बाँधे स्वाभिमानी वीर अज अकेले ही शत्रुओं की
सेना को चीरते चले जा रहे थे। 8. धन्वा :-धनुर्धर।
आकर्णमाकृष्टसबाणधन्वा व्यरोचतास्त्रेषु विनीयमानः। 18/51 बाईं जाँघ कुछ झुका लेते थे और बाण चढ़कार धनुष की डोरी कान तक खींचते थे, उस समय वे बड़े सुन्दर लगते थे।
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