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रघुवंश
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जैसे सुपुत्र अपने पिता के धर्म का पालन करते हैं, वैसे ही अतिथि सेवा का काम उनके बदले ये आश्रम के वृक्ष करते हैं।
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5. पृथिवीरुह :- [ पृथु + ङीष् + रुह ] पेड़, वृक्ष ।
न खरो न च भूयसा मृदुः पवमानः पृथिवरुहामिव । 8 / 9
वे न तो बहुत कठोर थे न बड़े कोमल। जैसे मध्यम गति से बहने वाला वायु वृक्षों को उखाड़ता तो नहीं, पर झुका अवश्य देता है।
अकरोत्पृथिवोरुहानापि स्रुत शाखारसबाष्व दूषितान् । 8/70
उस समय उन्हें देखकर वृक्ष भी, मानो अपनी शाखाओं से रस बहाकर रोने लगे । 6. विटप :- [ विटं विस्तारं वा पाति पिबति - पा+क] शाखा, झाड़ी, वृक्ष ।
बाहुभिर्विटपाकारै दिव्या भरण भूषितैः । 10/11
आभूषणों से सजी हुई उनकी बड़ी-बड़ी भुजाएँ वृक्ष की शाखाओं के समान थीं।
7. वृक्ष :- [ व्रश्च् +क्स् ] पेड़, वृक्ष ।
सेकान्ते मुनिकन्याभिस्तत्क्षणोज्झितवृक्षकम् । 1/51
ऋषिकन्याएँ वृक्षों की जड़ों में पानी दे देकर वहाँ से हट गई थीं।
सिक्तं स्वयमिव स्नेहाद्वन्ध्यमाश्रमवृक्षकम् । 1 /70
जैसे अपने हाथों से सींचे हुए आश्रम के वृक्षों में फल लगता न देखकर । स पल्वलोत्तीर्णवराह यूथान्यावास वृक्षोन्मुखबर्हिणानि । 2/17
उन्होंने देखा कि कहीं तो छोटे-छोटे तालों मे से सुअरों के झुंड निकल-निकल कर चले जा रहे हैं, कहीं वृक्षों में छोटी-छोटी नई पत्तियाँ रही हैं। मदोत्कटे रेचितपुष्पवृक्षा गन्धर्द्विये वन्य इव द्विरेफाः । 6/7
जैसे फूलवाले वृक्षों को छोड़कर मद बहाने वाले जंगली हाथियों पर भौरे झुक पड़ते हैं ।
न हि प्रफुल्लं सहकारमेत्य वृक्षान्तरं कांक्षति षट्पदाली । 6/69 जब भौंरों का झुण्ड आम के वृक्ष पर पहुँच जाता है, तब उन्हें दूसरे वृक्षों के पास जाने की चाह नहीं रहती ।
नात्मानमस्य विविदुः सहसा वराहा वृक्षेषु विद्धमिषभिर्जधनाश्रयेषु । 9/60 उन्होंने तत्काल ऐसे कसकर बाण मारे कि सुअरों को पता ही नहीं चला कि वे उन पेड़ों में बाण के साथ कब चिपक गए, जिनके सहारे वे खड़े थे ।
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