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कालिदास पर्याय कोश
तस्य पश्यन्ससौमित्रेदश्रुर्व सतिदुमान्। 12/14 उन्हें वे वृक्ष दिखाए, जिनके तले राम और लक्ष्मण जाते हुए टिके थे, तो उनकी आँखों में आँसू छलक आए। अभिपेदे निदाघार्ता व्यालीव मलयदुमम्। 12/32 जैसे धूप से धबराकर कोई नागिन चंदन के पेड़ के पास पहुंच गई हो। प्रांशुमुत्पाटयामास मुस्तास्तम्बमिव दुमम्। 15/19 एक बड़ा भारी पेड़ ऐसे धीरे से उखाड़ लिया, जैसे मोथा उखाड़ लिया जाता है। आधूय शाखाः कुसुमदुमाणां स्पृष्ट्वा च शीतान्सरयूतरंगान्। 16/36 उपवनों में फूले हुए वृक्षों की डलियों को हिलाता हुआ तथा सरयू के शीतल जल के स्पर्श से ठंडे वायु ने। अक्षोभ्यः स नवोऽप्यासीदृढमूल इव दुमः। 17/44
नये राजा होने पर भी वे गहरी जड़ वाले वृक्ष के समान अचल हो गए। 4. पादप :-[पद्+घञ्+पः] वृक्ष।
न पादपोन्मूलन शक्ति रंहः शिलोच्चये मूर्च्छति मारुतस्य। 2/34 देखो! वायु का जो वेग वृक्षों को जड़ से उखाड़ फेंकने की शक्ति रखता है, वह पर्वत का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। तस्यासीदुल्वणो मार्गः पादपैरिव दन्तिनः। 4/33 जैसे कोई बलवान् जंगली हाथी किसी वृक्ष को नष्ट करता है, वैसे ही उन्होंने अपने मार्ग के सब रोड़े दूर कर दिए। कच्चिन वाय्वादिरूपप्लवो वः श्रमच्छिदामाश्रमपादपानाम्। 5/6 आप लोगों के आश्रम के जिन वृक्षों से पथिकों का छाया मिलती है उन वृक्षों को आँधी-पानी से कोई हानि तो नहीं पहुंची है। प्रवाल शोभ इव पादपानां शृंगार चेष्टा विविध बभूवुः। 6/12 राजाओं ने अपना प्रेम जताने के लिए वृक्षों के पत्तों के समान अनेक प्रकार से भौंह आदि चलाकर शृंगार चेष्टाएँ की। आससाद् मिथिलां स वेष्टयन्पीडितो पवन पादपां बलैः। 11/52 उस युद्ध में वानर, पेड़ों से मार-मारकर राक्षसों की लोहे की गदाएं तोड़ डालते थे, पत्थर बरसाकर उनके मुग्दर पीस डालते थे। तस्यातिथीनामधुना सपर्या स्थिता सुपुत्रेष्विव पादपेषु। 13/46
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