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कालिदास पर्याय कोश जैसे कोहरे के दिन, प्रभात होने का ज्ञान धुंधले सूर्य को देखकर होता है। दिने दिने शैवलवन्त्य धस्तात्सोपान पर्वाणि विमुञ्चदम्भः। 16/46 गर्मी के कारण घर की बावलियाँ दिन-प्रतिदिन सेवार जमी हुई सीढ़ियों को
छोड़कर पीछे हटने लगीं। 3. दिव :-[दीव्यन्त्यत्र, दिव्+बा आधारे डिवि-तारा०] दिन, प्रकाश, उजाला।
तौ विदेह नगरी निवासिनां गां गताविव दिवः पुनर्वसू। 11/36 वे दोनों राजकुमार जनकपुर के निवासियों को ऐसे सुंदर लग रहे थे, मानों दो पुनर्वसु नक्षत्र ही पृथ्वी पर उतर आए हों। रात्रावनाभिष्कृत दीपभासः कान्तामुखश्री वियुता दिवापि। 16/20 न तो रात को दीपकों की किरणें निकलती हैं, न दिन में सुंदरियों का मुख दिखाई देता है। रात्रिंदिव विभागेषु यदादिष्ट महीक्षिताम्। 17/49 शास्त्रों ने राजाओं के लिए जो दिन और रात के कर्तव्य निर्धारित किए हैं। अन्तरेव विहरन्दिवानिशं न व्यपैक्षत समुत्सुकाः प्रजाः। 19/6 वह दिन रात रनिवास के भीतर रहकर ही विहार करने लगा, उसके दर्शन के
लिए जनता अधीर रहती थी, पर कभी उनकी सुध नहीं लेता था। 4. दिवस:-[दीव्यतेऽत्र, दिव+असच किक्व] दिन।
अथ विधिमवसाय्य शास्त्रदृष्टं दिवसमुखोचितमंचिता क्षिमक्ष्मा। 5/76 सुन्दर पलकों वाले राजकुमार अज ने उठकर शास्त्र से बताई हुई प्रातःकाल की सब उचित क्रियाएँ की। दिवसं शारदमिव प्रारम्भ सुख दर्शनम्। 10/9 जैसे खिले हुए कमलों और कन्या राशि के सूर्य से शरद ऋतु के प्रारंभिक दिन बड़े सुहावने लगते हैं। मनोजहोर्निदाघान्ते श्यामाभ्रा दिवसा इव। 10/83 जैसे गर्मी के अंत के दिनों में काले बादल लोगों के मन को आकर्षित कर लेते
प्रबृद्धतापो दिवसोऽतिमात्रमत्यर्थमेव क्षणदा च तन्वी। 16/45
अत्यंत संताप से भरे दिन और अत्यन्त छोटी रातें। 5. छु :-[दिव्+उन्, कित्] दिन, आकाश, उजाला।
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