________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
119
रघुवंश
अन्येधुरात्मानुचरस्य भावं जिज्ञासमाना मुनिहोमधेनुः। 2/26 तब नंदिनी ने सोचा कि मैं सेवक राजा दिलीप की परीक्षा क्यों न लूँ ,कि वे
सच्चे भाव से सेवा कर रहे हैं या केवल स्वार्थ भाव से। 6. वार :-[वृ+घञ्] समय, बारी, दिन।
तेन दूतिविदितं निषेदुषा पृष्ठतः सुरतवाररात्रिषु। 19/18 जिस दिन-रात को उसे किसी स्त्री से संभोग करने जाना होता, तो दूती से सब बातें बताकर वह पास ही छिपकर बैठ जाता।
दिनान्त
1. दिनान्त :-[द्युतितमः, दो (दी)+नक्, ह्रस्व:+अन्तः] सायंकाल।
दिनान्ते निहितं तेजः सवित्रेव हुताशनः। 4/1
जैसे सांझ के सूर्य से तेज लेकर आग चमक उठती है। विडम्बयत्यस्तनिमग्नसूर्यं दिनान्तमुग्रानिल भिन्नमेघम्। 16/11 जैसे सूर्यास्त के समय की वह संध्या, जिसमें वायु के वेग से इधर-उधर
छितराए हुए बादल दिखाई देते हों। 2. दिनात्यय :-[धुति तमः, दो (दी)+नक्, ह्रस्व:+अत्ययः] सायंकाल।
पश्यति स्मजनता दिनात्यये पार्वणौ शशिदिवाकराविव। 11/82
वे दोनों ऐसे जान पड़ते थे, मानो वे संध्या समय के चंद्रमा और सूर्य हों। 3. दिनावसान :-[धुति तमः, दो (दी)+नक्, ह्रस्व:+अवसानम्] सायंकाल।
दिनावसानोत्सुकबालवत्सा विसृज्यतां धेनुरियं महर्षेः। 2/45 इस महर्षि वशिष्ठजी की गाय को छोड़ दो, क्योंकि इसका छोटा सा बछड़ा सांझ
हो जाने से इसकी बाट जोह रहा होगा। 4. संध्या :-[सन्धि+यत्+टाप, सम्+ध्यै+अङ्+टाप् वा] सायंकाल, सांझ का
समय। बिभ्रती श्वेतरोमांकं संध्येव नवम्। 1/83 इससे वह ऐसी जान पड़ती थी, जैसे लाल संध्या के माथे पर द्वितीया का चंद्रमा चढ़ आया हो। तदन्तरे सा विरराज धेनुर्दिनक्षपामध्यगतेव संध्या। 2/20 इन दोनों के बीच में वह लाल रंग वाली नंदिनी ऐसी शोभा दे रही थी, जैसे दिन और रात के बीच में सांझ की ललाई।
For Private And Personal Use Only