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रघुवंश
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महेन्द्रमास्थाय महोक्षरूपं यः संयति प्राप्त पिनाकिलीलः। 6/72 तब बैल पर चढ़े हुए वे राजा शिवजी के समान लगते थे, स्वयं इंद्र उनके लिए
बैल बने हुए थे। 10. भूतनाथ :-[भू + क्त + नाथः] शिव का विशेषण।
तद्भूतनाथानुग नार्हसि त्वं संबंधिनो मे प्रणयं विहन्तुम्। 2/58
हे शिवजी के सेवक अपने मित्र की प्रार्थना न ठुकराओ। 11. भूतेश्वर :-[भू + क्त + ईश्वरः] शिव का विशेषण।
भूयः स भूतेश्वर पार्ववर्ती किंचिद्विहस्यर्थ पतिं बभाषे। 2/46
यह सुनकर वह शिवजी का सेवक सिंह कुछ हँसकर राजा से बोला। 12. महेश्वर :-[महा + ईश्वरः] शिव का नामान्तर।
हरिर्यथैकः पुरुषोत्तमः स्मृतो महेश्वर त्र्यम्बक एव नापरः। 3/49
देखो! जिस प्रकार पुरुषोत्तम केवल विष्णु ही हैं, त्र्यम्बक केवल शंकर ही हैं। 13. रुद्र :-[रोदिति-रुद् + रक्] शिव का नाम, देवसमूह विशेष ।
इमामनूनां सुरभेरवेहि रुद्रौजसा तु प्रहृतं त्वयां स्याम्। 2/54 यह किसी भी प्रकार कामधेनु से कम नहीं है। आज शंकर जी का बल लेकर ही तुमने इस पर आक्रमण किया है, नहीं तो तुममें इतनी शक्ति कहाँ। दृष्ट सारमथ रुद्रकार्मुके वीर्यशुक्लमभिनन्द्य मैथिलः। 11/47 राजा जनक ने जब देखा कि धनुष तोड़कर राम ने अपना पराक्रम दिखला दिया
है, तब उन्होंने राम का बड़ा आदर किया। 14. विश्वेश्वर :-[विश् + व + ईश्वरः] शिव का विशेषण, परमात्मा।
आराध्य विश्वेश्वरमीश्वरेण तेन क्षितेर्विश्वसहो विजज्ञे। 18/24 उन्होंने काशी के विश्वेश्वर शंकरजी की आराधना करके विश्व सह नामक पुत्र
पाया।
15. वृषभध्वज :-[वृष् + अभच किच्च + ध्वजः] शिव का विशेषण।
अमुं पुरः पश्यसि देवदारुं पुत्रीकृतोऽसौ वृषभध्वजेन। 2/36 यह जो तुम्हारे सामने देवदारु का पेड़ दिखाई देता है, इसे शंकर जी अपने पुत्र
के समान मानते हैं। 16. वृषाङ्क :-[वृष् + क् + अङ्कः] शिव का विशेषण।
उमावृषाङ्कौ शरजन्मना यथा यथा जयन्तेन शची पुरंदरौ। 3/23
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