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रघुवंश
ताडका चलकपालकुण्डला कालिकेव निविडा बलाकिनी। 11/15 कानों में लटकी हुई मनुष्य की खोपड़ियों का कुंडल हिलाती हुई अमावस्या की
रात्रि के समान काली कलूटी ताड़का, उनके आगे इस प्रकार खड़ी हो गई। 2. सुकेतसुता :-ताड़का।
तौ सुकेत सुतया खिलीकृते कौशिकाद्विदित शापया पथि। 11/14 वहीं मार्ग में उन्हें वह सुकेतु की कन्या ताड़का राक्षसी मिली, जिसने सारे मार्ग को उजाड़ बना दिया था और जिसके शाप की कथा महर्षि विश्वामित्र ने पहले ही राम को सुना दी थी।
ताम्र
1. अरुण :-[ऋ+उनन्] अर्धरक्त या कुछ-कुछ लाल, भूरा, पिंगल, लाल गुलाबी। येषां विभान्ति तरुणारुणरागयोगाद्भिन्नाद्रिगैरिकतटा इव दन्तकोशाः।
5/72 लाल सूर्य की किरणें पड़ने से उनके दाँत ऐसे लगते हैं, मानो वे अभी गेरु के पहाड़ को खोदकर चले आ रहे हों। विडम्ब्यमाना नवकन्दलैस्ते विवाहधूमारुण लोचनश्रीः। 13/29 उससे कंदलियों की कलियाँ खिल उठी और वैसी ही लाल-लाल हो गईं, जैसे विवाह के समय हवन का धुआँ लगने से तुम्हारी आँखें लाल हो गई थीं। उन्हें
देखकर तुम्हार स्मरण हो आने से मैं बेचैन हो गया था। 2. ताम्र :-[तम्+रक्,दीर्घः] ताँबे के रंग का, लाल।
प्रचक्रमे पल्लवराग ताम्रा प्रभा पतंगस्य मुनेश्च धेनुः। 2/15 उधर लाल रंग की नंदिनी भी अपने खरों के स्पर्श से मार्ग को पवित्र करती हई तपोवन की ओर लौट पड़ी और दिन ढलने पर नये पत्तों की ललाई के सामने। ताम्रोदरेषु पतितं तरुपल्लवेषु निर्धीतहारगुलिकाविशदं हिमाम्भः। 5/70 हार के उजले मोतियों के समान निर्मल ओस के कण वृक्षों के लाल पत्तों पर गिरकर वैसे ही सुदंर लग रहे हैं। कुशेशया ताम्रतलेन कश्चित्करेण रेखाध्वजलां क्षनेन। 6/18 जिनकी हथेली कमल के समान लाल थी और जिस पर ध्वज की रेखाएँ बनी
हुई थीं।
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