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जयन्त
था, मानों उसके पीछे कोई भूत लगा हो और उस भूतसे अपनी जान बचाने वह मेरे पास आया हो ।
धू.-क्योरी कमला; तुम्हारे लिये तो वह पागल नहीं हो गया ?
कम-ये सब मैं क्या जाने ? पर, होगा-यह भी हो सकता है । कौन कहे कि यह बात झूठी है ?
धू०-उसने कुछ कहा भी था ?
कम०-कहना सुनना कैसा ? एकाएक आकर उसने मेरी कलाई पकड़ ली और मुझसे एक हाथ दूर पीछे हट गया; और अपना दूसरा हाथ भीसे लगा मेरी ओर इस तरह निहारने लगा मानों मेरी फोटो ही उतारा चाहता था। बस, इसी तरह मेरी भोर टकटकी लगाए कुछ देरतक खड़ा था । फिर मेरे हाथको एक हलकासा झटका देकर तीन बार सिरसे पैरतक मुझे खूब निहार एक ऐसी लन्त्री साँस ली कि मानों उसके कलेजेमें कोई गहरी चोट लगी हो । फिर उसने मेरा हाथ छोड़ दिया; और गर्दनको कन्धेपर लटका मेरी ओर देखता हुआ वह दरवाजेके बाहर हो गया।
धूल-चलो, मेरे साथ साथ चलो; मैं अभी महाराजके पास जाता हूं । इसीका नाम है 'प्रेमातिरेक' । कामातुर मनुष्योंको इस कामवासनाके पीछे न जाने कौन कौन दुःख उठाने पड़ते हैं ! मनुप्यको जर्जर करने वाले जो छः शत्रु माने गये हैं उनमें अत्यन्त भयकर शत्रु यही 'काम' है । हा ! मुझे उसके लिये बहुत दुःख हो रहा है। क्योंरी ! तुमने उसे कोई कड़ी बात तो नहीं कही !
कम०-नहीं, पिताजी, मैं तो कुछ भी नहीं बोली। पर हां, आपकी आज्ञानुसार उसकी चिठियाँ मैंने अवश्य लौटा दी थीं; और मिलनेसे भी
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