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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दृश्य १ ] बलभद्रदेशका राजकुमार । ४१ लो; फिर देखा जायगा । मेरी बातोंका मतलब समझेते हो न ! नहीं तो फिर समझ लो । जम्बू धूर्ज O www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नहीं नहीं, सरकार, मैं खूब समझता हूँ । -अच्छा, जाओ । परमात्मा तुम्हारी रक्षा करेगा } जम्बू ० जो आज्ञा । धूर्ज० – एक बात और सुन लो । मौका देखकर काम करना । जम्बू ० - हाँ, हुजूर, ऐसा ही करूँगा । धूर्ज ० - उसके गाने बजाने में बाधा मत डालना | ● जम्बू ० - जो आज्ञा । धूर्ज० - अच्छा, अब जाओ । ( जम्बुक जाता है । कमला प्रवेश करती है । ) धू० - कहो, कमला, क्या खबर है ? कमला - ( लम्बी सांस लेकर ) पिताजी ! मुझे तो बढ़ा डर लगता है ! घ. - डर लगता है ? किसका डर लगता है ! कम०- - पिताजी, जब मैं अपने कमरे में बैठकर कसीदा काढ़ रहा थी तब जयन्त ऐसे विचित्र ढंगसे वहां आकर मेरे सामने खड़ा हो गया कि – बापरे बाप ! मैं कुछ कही नहीं सकती । न तो उसके कोटके बटन लगे थे; न माथेपर टोपी थी; और न पायता में पट्टी ही लगी थी । पायताने खिसक खिसक कर बेड़ी जैसे ठेहुनीके बिल्कुल पास चले आये थे; और कीचड़से भर गये थे । चेहरेपर सफ़ेदी छा गई थी; और चलते समय दोनों घुटने एक दूसरे से टकराते थे । तात्पर्य, उसने ऐसा दया उत्पन्न करने वाला वेश बनाया For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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