________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जैन विवाह विधि
नमो हव्याशनाय अत्र कुंडे आगच्छ २ अवतर २ तिष्ठ २ स्वाहाः ।
यह मंत्र बोल कर अग्निकोने में अग्नि थापन करे पीछे क्रिया कारक उत्तर सन्मुख बैठ कर नीचे मुजब मंत्र बोलता हुआ घी गुड तिल सुपारी वगैरह का होम करे ।
होम का मंत्र ॐ अहँ ॐ अग्ने प्रसन्नः सावधानो भवतवाऽयमवसरः, तदाहारय इन्द्रं यम नैर्ऋतं, वरूणं वायुं कुबेरं ईशानं नागं ब्रह्माणं लोकपालान, ग्रहांश्च सूर्य सोम मंगल बुध गुरू शनि राहु केतून, सुरांश्च असुर सुपर्ण विद्युदग्नि द्वीपोदधि दिग्वायु स्तनितकुमारान् । भुवनपतीन भूतपिशाचयक्षराक्षस किन्नर किं पुरूष्महोरगगंधर्वान् व्यंतरान, चंद्रार्कग्रह नक्षत्रतारकान ज्योतिष्कान्, सौधर्मेशान सनत्कुमारमाहेन्द्र ब्रह्मलातक शुक्रसहस्त्राराऽऽनतप्राणताऽऽरणाऽच्युतप्रैवे यकानुत्तरभवान् वैमानिकान्। इन्द्रसामानिकपार्षद्यप्रायस्त्रिश्ल्लोकपालानीकप्रकीर्णकला - कान्तिकाभियोगिकभेदभिन्नान् चतुर्निकायानपि सभार्यान् सायुधबलवाहनान् स्वस्वोपलक्षितचिह्यनू अप्सरसश्च परिगृहीतापरिगृहीतभेदभिन्नाः स सखीकाः सदासीकाः साभरणा रूचकवासिनो दिक्कुमारिकाश्च । सर्वाः समुद्रनदी गिर्याकरवनदेवताः, तदेतान् सर्वान् सर्वाश्च इदमर्थ्य पाद्यमाचमनीयं बलिं चरूं हुतं न्यस्तं ग्राह्य २ स्वयं गृहाण २ स्वाहा अहँ ॐ ।
इस तरह होम कर क्रियाकारक कन्या के सामने बैठकर नीचे दिया हुआ मंत्र पढता हुआ डाभ के अग्रभाग से तीर्थजल से वर कन्या को अभिषेक करावें।
For Private and Personal Use Only