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आचार्य हेमचन्द्रगरि और उनका साहित्य
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इनके जमाने की राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं नैतिक अनेक समस्याओं पर इनकी बुद्धि तथा आत्मज्योति का बडा असर है। एक और इनको पाणिनि, पिंगल, अमर, मम्मट, गौतम, पातञ्जलि और व्यास वाल्मिक की तरह व्याकरण-छन्दकोष-काव्य-न्याय-योग और इतिहास के गंभीर अनुशासक देखते हैं, तो दूसरी ओर सिद्धराज, जयसिंह, कुमारपाल आदि बडे २ राजाओं के साथ सैकड़ों पार गंभीर राजनैतिक चर्चा सलाह और उपदेश देते हुए देखते हैं । तीसरी तरफ धर्मसमाज की सुन्दर व्यवस्था के कार्य में संलग्न देखते हैं, तो चौथी तरफ इन्द्रिय और मन के विकारों को जीतकर आत्मा में योग की साधना करते हुए 'योगी' देखते हैं । इस अवस्था में हम इन महापुरुष को किस विशेषण से पहचाने, यह हमारी समझ में अभी तक नहीं आता है । इसी कारण से इनके नाम मे इनके युग को लोग हैमयुग' कहते हैं । प्राचीन और अर्वाचीन पौर्वात्य और पाश्चात्य, जैन और अजैन प्रकाण्ड पण्डितगण ने इनको श्रद्धाञ्जलि अपित की है । मेरे विद्वान् मित्र 'श्रीशारदाग्रन्थ' के मेक्रेटरी महोदय के प्रेमपूर्ण आग्रह के वश होकर आज हम पाठकों के सामने अनेक विशिष्ट शक्तिओं के धारक इन हेमचन्द्राचार्य का थोडा इतिवृत्त लिखने का यत्न करेंगे।
बाल्यकाल
अनेक नररत्नों की जगत् को भेंट देनेवाले गुजरात
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