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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१६ आचार्य हेमचन्द्रसूरि और उनका साहित्य -: ३९ :आचार्य हेमचन्द्रसूरि और उनका साहित्य 'वसुधा रत्नों की खदान है' इस उक्ति के अनुसार इस भूमण्डल पर कई नररत्न प्रकाशित हुये हैं और होते हैं । रत्नों की तरतमता से उनके प्रकाश और मूल्य में तरतमता होती है। उसी तरह कई महापुरुष ऐसे होते हैं जिनका प्रभाव, उपकार, यश या चमत्कार उनके क्षेत्र देश-प्रान्त-काल या जाति तक ही मर्यादित होता है । जब कि कुछ ऊर्ध्वरेता विशिष्टमहानुभाव ऐसे महापुरुष होते हैं जिनका प्रभाव-उपकार यश या चमत्कार दिक्कालजात्याद्यनवच्छिन्न याने सार्वत्रिक सदाकालीन और सार्वजनीन होता है। ऐसे पुरुष कोहिनूर के समान विश्व में विरल होते हैं। ऐसे विरल पुरुषों में कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य श्रीहेमचन्द्रसूरि भी हैं। जिनका जीवन अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाओं से परिपूरित है। यह करीब आठ सौ वर्ष के पूर्व काल की बात है । याने विक्रम का बारहवीं और तेरहवीं सदी में इनका सत्ता काल है । लगानीन होताते हैं । ऐसे भी हैं । भारतीय साहित्य की अनेक दिशाएँ और विदिशा इन हेमचन्द्र की शुभ ज्योत्स्ना से प्रकाशमान हुई हैं । For Private and Personal Use Only
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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