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भगवान् महावीर
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अगरेज को किसी स्थान से मिली थीं। श्रीयुत विश्वम्भर दास जी जैन के पिता जी ने उस अङ्गरेज से मांग कर मन्दिर में रखवा दी है । झांसी में सभी दिगम्बर तेरापन्थी ही। बीस पन्थी नही हैं। प्रत्येक मन्दिर में पूजारी जैन ही होता है और धर्मग्रन्थ का स्वाध्याय होता रहता है, यह दिगम्बरों की असाधारण विशेषता है । क्या श्वेताम्बर लोग अभी भी इस बात में दिगम्बरों का अनुकरण नहीं करेंगे ? यहां पर वाबू विश्वम्बर दास जी, सेठ मक्खन लाल जी आदि दि० जैन उत्साही और धर्म प्रेमी हैं। २०-२५ दिगम्बर घर हैं। दो ओसवाल श्वेताम्बर जैन के घर हैं। श्रीयुत मास्टर फूलचन्द जी जैन और उनके भाई शिक्षित तथा उत्साही हैं । करगुंआ नाम का एक छोटासा गांव झांसी से करीब ३ मोल पर है, यहां पर दि० मूर्तियां पुरानी और अच्छो है, पर मुझे देखने का वक्त नहीं मिला।
भगवान् महावीर
भारत धर्म का मुख्य स्थान है, धर्मोपदेशक रूपी रत्नों का सागर है । पचीस सौ वर्ष पहले भारत में धन, राज्य और जाति मद को जोर बढ़ गया था । मबल और
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* गङ्गा, भागलपुर सुल्तानगंज, वर्ष ५, पूर्णतरङ्ग ५० ।
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