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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाकवि शोभन और उनका काव्य शोभन के दादा 'सांकाश्य' नगर के रहनेवाले थे । यह नगर पूर्वदेश में है । आजकल यह फरुर्खाबाद जिले में 'संक्सि' ग्राम के नाम से प्रसिद्ध है । 'सर्वदेव व्यवसाय तथा आजीविका के लिए पहले पहल मालवे की राजधानी उज्जैन में आये । बाद में यहीं निवास करने लगे | मालवे की राजधानी पहले उज्जैन थी, परन्तु बाद में राजा भोज ने धारा नगरी को राजधानी बनाया । शोभन मुनि का अवसान संसार की विचित्र लीला है। अधिकतर देखा गया है कि विद्वान् तथा सज्जन पुरुष इस असार संसार को शीघ्र ૧ Vide Indian Historical Quarterly of 1929 page 149. 'सिद्ध हेमचंद्र शब्दानुशासन की लघुवृत्ति' में एक स्थान पर लिखा है कि "साङ्काश्यरुभ्यः पाटलिपुत्रिका: आढयतरा:' ( ७-३-६) मेरी संपादित आवृत्ति के ५६१ पेज से स्पष्ट विदित होता है कि सो काश्य नगर पटना के पास था और उस जमाने में मध्यदेश में प्रसिद्ध नगर था । विद्धहेमचन्द्र शब्दानुशासन हेमव्याकरण) का हमने संपादन किया है और उस पर सात परिशिष्ट भी (११२ पेज के ) तैयार किये हैं । यह ग्रन्थ श्री आनन्दजी कल्याणजी की पीढी झवेरीवाड- अहमदाबाद से प्रकाशित है । फरुर्खाबाद जिला बिहार में नहीं, म्व में लेखक महोदय का मत निश्चित नहीं है । १०७ For Private and Personal Use Only संयुक्त प्रान्त में है । इस
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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