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हरीतक्यादिनिघंटे लकों निर्दोष करनेका उपाय निंदितभी जल औटायाहुवा और सूर्यके द्वारा गरमहुआ तथा सोना चांदी लोहा पत्थर और सिकताभी इनकों ॥ ८१ ॥ खूब गरम करके सातवार बुझाकर तथा सिद्धकियाहुवा और कपूर चमेली सुफेदकमल और पाटला आदिसें मुवासित ।। ८२ ॥ पवित्र सान्द्र छनाहुवा क्षुद्रजन्तुसे रहित स्वच्छ सोना मोती आदिसें शुद्ध दोषवर्जित ॥ ८३ ॥ पत्ते मूल विष गांठ मोती सोना सेवाल इनसें और गोमेद तथा वस्त्रसें जलकों स्वच्छ करै ॥ ८४ ॥ अनन्तर पीयेहुवे जलकी पाकविधि पीयाहुवा जल दोपहरसें पकताहै और औंटाके शीतल कियाहुवा एकपहरमें पकताहै उस्के उपर औटेमात्रसें जल कटु उष्ण होताहै जलके पा. कमें तीनही कालहै ।। ८५ ॥
इति हरीतक्यादिनिघंटे वारिवर्गः समाप्तः ।
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