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आम्रादिफलवर्गः।
१५७ अम्रातकनामगुणाः. आनातकः पीतनश्च मर्कटाम्रकपीतनः ॥ १८॥ आम्रातमम्लवातघ्नं गुरूणं रुचिकत्सरम् । पक्कं तु तुवरं स्वादु रसे पाके हिमं स्मृतम् ॥ १९॥ तर्पणं श्लेष्मलं स्निग्धं वृष्यं विष्टम्भि हणम् ।
गुरु बल्यं मरुत्पित्तक्षतदाहक्षयास्रजित् ॥ २०॥ टीका-आम्रातक, पीतन, मर्कटाम्र, कपीतन, यह अम्बाडेके नाम हैं. अम्बाडा खट्टा, वातहरता, भारी, गरम, रुचिकों करनेवाला, सरहै ॥ १८ ॥ पक्का कसेला, पाकरसमें मधुर, और शीतल कहाहै. तर्पण कफकों करनेवाला, चिकना, शुक्र उत्पन्नकरनेवाला, विष्टंभी, पुष्टहै ॥ १९॥ तथा भारी, बलकों हितहै. और वात, पित्त, क्षत, दाह, क्षय, रक्त, इनको जीतनेवालाहै ॥ २० ॥
अथ राजाम्र तथा कोशाम्रनामगुणाः, राजाम्रष्टङ्क आम्रातः कामाह्वो राजपुत्रकः। राजानं तुवरं स्वादु विशदं शीतलं गुरु ॥ २१ ॥ ग्राहि रूक्षं विबन्धाध्मवातकृत्कफपित्तनुत् ।। कोशान उक्तः क्षुद्राम्रः कृमिवृष्यः सुकोशकः ॥ २२ ॥ कोशाम्रः कुष्ठशोथास्त्रपित्तव्रणकफापहः। तत्फलं ग्राहि वातघ्नमम्लोऽम्लं गुरु पित्तलम् ।
पक्कं तु दीपनं रुच्यं लघूष्णं कफवातनुत् ॥ २३ ॥ टीका-राजाम्र, टङ्क, आम्रात, कामाह, राजपुत्रक, यह कसेला, मधुर, विशद, शीतल, भारी ॥ २१॥ काविज, रूखाहै. और विबन्ध, आध्मान, वात इ. नकों करनेवाला और कफपित्तकों हरता है. अथ कोशाम्र इस्कों कोशम्भभी कहते हैं. कोशाम्र, क्षुद्राम्र, कृमिवृक्ष, सुकौशिक, यह कोशाम्रके नाम हैं. कोशम्भ, रक्तपित्त, कुष्ठ, मूजन, व्रण, कफ इनको हरनेवाला है ॥ २२॥ उस्का फल काविज, वातहरता, खट्टा और पाकमेंभी खट्टा होताहै. भारी पित्तकों करनेवाला है तथा पकाहुवा दीपन रुचिकों करनेवाला हलका उष्ण कफवातकों हरताहै ॥ २३ ॥
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