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हरीतक्यादिनिघंटे टीका-भंगराज, ,गरज, मार्कव, भंग, अंगारक, केशराज, गार, केशरजन, यह भंगेरके नाम हैं, ॥२४२॥ भंगेरा कडवा, तीखा, रूखा, गरम, कफवातकों हरता है, और केशकों हित, खचाको अच्छा करनेवाला, और कृमि, श्वास, कास, शोथ, पाण्डुरोगकों हरता है ।। २४१ ॥ और दांतोंकों अच्छा करनेवाला, रसायन, बलकों देनेवाला, कुष्ठ, मेदरोग, शिरकी पीडा, इनको हरनेवाला है.
शणपुप्पी(हुली)नामगुणाः. शणपुष्पी कटुस्तिक्ता वामनी कफपित्तजित् ॥ २४२॥
शणपुष्पी स्मृता घण्टा शणपुष्पसमारूतिः। टीका-इसको हुलीभी कहते है. इस्के फूल सणके फूलके समान होते हैं. शणपुष्पी, घण्टा, पणपुच्छसमाकृति यह हुलीके नाम हैं ॥ २४२॥ हुली कडवी, तिक्त, वमनको करनेवाली, कफपित्तको हरनेवाली है.
अथ त्रायमाणानामगुणाः. बलभद्रा लायमाणा त्रायन्ती गिरिसानुजा ॥ २४३ ॥ त्रायन्ती तुवरा तिक्ता सरा पित्तकफापहा ।
ज्वरहृद्रोगगुल्माशीभ्रमशूलविषप्रणुत् ॥ २४४ ॥ टीका-बलभद्रा, त्रायमाणा, त्रायंती गिरसानुजा, यह त्रायमाणके नाम हैं ॥२४३ ॥ त्रायमाणा कसेली, तिक्त, दस्तावर, पित्तकफकों हरती है, और ज्वर, हृद्रोग, वायगोला, बवासीर, भ्रम, शूल, विष, इनकों हरती है ॥ २४४ ॥
अथ चूर्णहारनामगुणाः. मूर्वा मधुरसा देवी मोरटा तेजनी स्रवा। मधूलिका मधुश्रेणी गोकर्णी पीलुपर्ण्यपि ॥ २४५ ॥ मूर्वा सरा गुरुः स्वादुस्तिक्ता पित्तासमेहनुत् ।
त्रिदोषतृष्णाहृद्रोगकण्डूकुष्ठज्वरापहा ॥ २४६ ॥ टीका-मूर्वा, मधुरसा, देवी, मोरटा, तेजनी, सवा, मधूलिका, मधुश्रेणी, गोकर्की, पीलुपर्णी, यह मरोडफलीके नाम हैं ॥ २४५ ॥ मरोडफली, मल, वातकों
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