________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्र०क. // 2627 // 28 // जज इति। प्रोक्ता आगमादिषु प्रसिद्धेत्यादिदेव्याविशेषणं महाबलायाः // 28 पादाध इति / भिन्नं पदं, तलवासिनी पातालवासिनी // 30 // नखांश्लेश्वरी रक्षेत्कुक्षौ रक्षेन्नलेश्वरी। स्तनौ रक्षेन्महादेवी मनःशोकविनाशिनी // 26 // हृदयं ललिता देवी ह्युदरे शूलधारिणी। नाभिं च कामिनी रक्षेत् गुह्यं गुह्येश्वरी तथा // 27 // भूतनाथा च मेढ़च्च गुदं महिषवाहिनी / कय्यां भगवती रक्षेज्जानुनी बिन्ध्यवासिनी // 28 // जङ्घ महाबला प्रोक्ता जानुमध्ये विनायकौ। गुल्फयोर्नारसिंही च पादपृष्ठे मितौजसौ // 26 // पादङ्गुलौः श्रीधरी च पादाधस्तलवासिनी। नखान् दंष्ट्राः कराली च केशांश्चैवोर्ध्वकेशिनी // 30 // प्र० / कुक्षाविति सप्तम्यन्तपाठः प्राचीनसम्मतः // 26 // 27 // जामुनी बिन्ध्यवासिनीति पाठः // 28 // प्रोतागमादिशास्त्रेषु या महबलामेत्यर्थः॥२॥ पादाध इति भिन्न पदं, तलवासिनी पातालतलवासिनीत्यर्थः For Private and Personal Use Only