________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 21 // 22 // रहस्यवयस्याप्यध्ययनं विधत्तं / व्याख्यानमिति। पवहितः अर्थावधामसहित रति सर्व चिवधमरपाणिः सा महामारीति गीयते। इत्येता मूर्तयो देव्या व्याख्याता वसुधाधिप // 21 // जगन्मातुश्चण्डिकायाः कीर्तिताः कामधेनवः / इदं रहस्यं परमं न वाच्य कस्यचित्त्वया // 22 // व्याख्यानं दिव्यमूर्तीनामधीष्वाऽवहितः खयम्। तस्मात् सर्वप्रयत्नेन देवी जप निरन्तरम् // 23 // सप्तजन्मार्जितै|रैब्रह्महत्या समैरपि। पाठमावेण मन्त्राणां मुच्यते सर्वकिल्विषैः // 24 // देव्याध्यानं मया ख्यातं गुह्याद्गुयतरं महत्। तस्मात् सर्वप्रयत्नेन सर्वकाम फलप्रदम् // 25 // इति वैकृतिकरहस्यं तन्त्रोक्तं समाप्तम् / शिवम् // 23 // 24 // 25 // इति गुप्तवत्या मूर्तिरहस्य व्याख्या / For Private and Personal Use Only