________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir 14 // शताक्षी मूर्तिदुर्गामूोरवतारान्तरत्वाभावेन शाकम्भरीपूजाविधिमेव तत्रातिदिशति। सैवेति स.टी. 11. पुष्पपल्लवमूलादि फलाढ्य शाकसञ्चयम्। काम्यानन्तरसैर्युक्तं क्षुत्तृगामृत्युवरापहम् // 14 // कार्मुकञ्च स्फुरत्कान्ति विभ्रतो परमेश्वरी। शाकम्भरी शताक्षी सा सैव दुर्गा प्रकीर्तिता // 15 // विशोका टुष्टदमनी शमनी टुरितापदाम् / उमा गौरी सती चण्डी कालिका सापि पार्वती // 16 // शाकम्भरौं स्तुवन् ध्यायन् जपन् सम्पूजयन्त्रमन् / अक्षय्यमश्नुते शीघ्रमन्नपानामृतं फलम् // 17 // भीमापि नीलवर्णा सा दंष्ट्रादशनभासुरा। विशाललोचना नारी वृत्तपौनपयोधरा / 18 // चन्द्रहासच डमरु शिरःपावञ्च बिभ्रती। एकवीरा कालरात्रिः सैवोक्ता कामदा स्तुता // 16 // तेजो मण्डलदुईषो भ्रामरी चित्रकान्ति भृत् / चित्रानुलेपना देवी चित्राभरणभूषिता // 20 // // 15 // 16 // 17 // 18 // चन्द्रहास खाम् // 18 // सप्तमी मूर्तिमाह / तेज इति // 20 // For Private and Personal Use Only