________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शङ्खचक्रादिभिः सहरहौते परमायुधे खड्गबाणरूपे यया सा // 15 // 16 // 10 // 18 // 18 // 20 // 21 // स.टी. शङ्खचक्रगदाशार्ङ्गगृहीत परमायुधे / प्रसौद वैष्णवीरूपे नारा० // 15 // गृहीतोग्रमहाचक्र दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे / वराहरूपिणि शिवे ! नारा० // 16 // नृसिंहरूपेणोग्रण हन्तं दैत्यान् कृतोद्यमे। त्रैलोक्यवाणसहिते नारायणि नमोऽस्तु ते // 17 // किरीटिनि महावज्जे सहस्रनयनोज्ज्वले। वृतप्राणहरे चैन्द्रि नारा० // 18 // शिवदूतीस्वरूपेण हतदैत्यमहाबले। घोररूये महारावे नारा० // 16 // दंष्ट्रा करालवदने शिरोमालाविभूषणे / चामुण्डे मुण्डमयने नारा० // 20 // लक्ष्मिलज्ज महाविद्ये श्रद्धे पुष्टिखधे ध्रुवे / महारावि महाऽविद्ये नारा० // 21 // मेधे सरखतिवरे भूतिवादवि ! तामसि। नियते त्वं प्रसौदेशे नारा० // 22 // भूतिवाभ्रवीत्येकं पदं वभ्र स्तु नकुले विष्णावित्यमरः, वभ्र, रजोगुण इति केचित् // 22 // For Private and Personal Use Only